महाकुंभ में हर मन को मिलती शांति (mahaakumbh mein har man ko shaanti lyrics in hindi) - Bhaktilok

Deepak Kumar Bind

 महाकुंभ में हर मन को मिलती शांति (mahaakumbh mein har man ko shaanti lyrics in hindi)

(Lyrics)


गंगा की गोद में, उमड़े उजियारा,

हर मन को लगे जैसे, छू लिया किनारा।

महाकुंभ में हर मन को मिलती शांति,

भक्ति की गूँज में, बसती दिव्य ज्योति।


सूरज की किरणें, जल में चमकें,

हर आत्मा को जैसे, नयी राहें दिखें।

साधु-संतों के वचन, गूंजें हर ओर,

जगाए प्रेम का भाव, मिटाए हर शोर।


(सहगान)

जय हो गंगा मैया, जय हो हरिद्वार,

महाकुंभ में हर मन, पाए सुख अपार।


धूप-दीप की महक, संग आरती की धुन,

हर दिल में बसे जैसे, प्रभु का गुण।

दूर-दूर से आए, हर जाति-हर वेश,

महाकुंभ में दिखे, एकता का संदेश।


सांसों में बसी है, ये पावन धरा,

महाकुंभ ने जोड़ा, हर मन का सहारा।

सत्य, धर्म, और प्रेम की है ये बात,

महाकुंभ में हर मन को मिलती सौगात।


(सहगान)

जय हो गंगा मैया, जय हो हरिद्वार,

महाकुंभ में हर मन, पाए सुख अपार।

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