महाकुंभ के संगम में, प्रभु का प्रेम (mahaakumbh ke sangam mein, prabhu ka prem lyrics in hindi)
महाकुंभ के संगम में, बहती गंगा-यमुना धार,
सरस्वती की गोद में, बसी है श्रद्धा अपार।
जन-जन के मन में उमंग, प्रभु का होता नाम,
हर कण में झलकता है, प्रभु का पावन धाम।
त्रिवेणी की लहरों में, प्रेम का संचार है,
हर बूंद में समाहित, प्रभु का आभार है।
डुबकी लगाते भक्तजन, हर पाप हो जाता क्षीण,
संगम की पवित्रता में, मिलते हैं परम धीन।
चमकते दीपों की लौ, जैसे प्रभु का प्रकाश,
हर ओर गूँजती आरती, मिटाती मन का त्रास।
साधु-संतों का मेला, गूंजे जयघोष महान,
महाकुंभ का यह पर्व, बनता युगों की पहचान।
प्रभु का प्रेम अमर है, संगम का यह सत्कार,
हर हृदय में बसता है, उनका दिव्य आकार।
महाकुंभ के इस संगम में, बहे प्रेम की धार,
जीवन को पावन करे, प्रभु का यह उपहार।
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