सूरज की किरणें चमक रही (sooraj kee kiranen chamakatee huee lyrics in hindi) - Bhaktilok
(राग: भक्ति रस)
सूरज की किरणें चमक रही,
गंगा की लहरें दमक रही।
संगम तट पर भक्तों का मेला,
भक्ति में हर मन रमक रही।
सूरज की किरणें चमक रही।
गंगा-यमुना का संगम प्यारा,
सरस्वती का अद्भुत धारा।
तीनों की महिमा अपरंपार,
हरि की कृपा का ये उपहार।
भक्तों का मन उज्जवल कर दे,
हर पाप को हर पल हर दे।
सूरज की किरणें चमक रही,
गंगा की लहरें दमक रही।
शंख-घंटा की ध्वनि सुहानी,
हर दिशा में गूँजे कहानी।
साधु-संतों का संग सुहाना,
हर मन को भक्ति का तराना।
धूप-दीप और पुष्प चढ़ाएँ,
हरि चरणों में शीश नवाएँ।
सूरज की किरणें चमक रही,
गंगा की लहरें दमक रही।
डुबकी लगाकर जो भी आए,
मोक्ष का अमृत वही पाए।
पुण्य का सागर सबको बुलाए,
आस्था का दीप मन में जलाए।
सत्य और धर्म की राह दिखाए,
जीवन को निर्मल बना जाए।
सूरज की किरणें चमक रही,
गंगा की लहरें दमक रही।
महाकुंभ का मेला अनोखा,
हर भक्त के दिल में है जोश का।
भजन-कीर्तन की गूँज निराली,
हर मन में प्रेम की लाली।
हरि का नाम सब गुनगुनाएँ,
भक्ति की गंगा बहाएँ।
सूरज की किरणें चमक रही,
गंगा की लहरें दमक रही।
गंगा मैया की जय-जयकार,
संगम तट पर हरि का द्वार।
जो भी यहाँ श्रद्धा से आए,
जीवन का सत्य वही पाए।
हर मन को शांति का वर दे,
हरि के चरणों में सुख भर दे।
सूरज की किरणें चमक रही,
गंगा की लहरें दमक रही।
हरि की महिमा गाते चलो,
प्रेम का दीप जलाते चलो।
संगम की धारा में बहते चलो,
सत्य और धर्म की राह लेते चलो।
भक्ति की गंगा जीवन में आए,
हर मन में आस्था जगाए।
सूरज की किरणें चमक रही,
गंगा की लहरें दमक रही।
यह गीत महाकुंभ के पावन वातावरण और गंगा की दिव्यता का सुंदर चित्रण करता है। इसे गाने से भक्ति और श्रद्धा का माहौल बनता है, जो हर मन को शांति और आत्मा को आनंद प्रदान करता है।
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