श्री शिव अष्टकम(Shiv Ashtakam in Sanskrit) - Bhaktilok

Deepak Kumar Bind

श्री शिव अष्टकम(Shiv Ashtakam in Sanskrit):-


श्री शिव अष्टकम(Shiv Ashtakam in Sanskrit) - Bhaktilok


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श्री शिव अष्टकम(Shiv Ashtakam in Sanskrit):- 


प्रभुं प्राणनाथं विभुं विश्वनाथं जगन्नाथ नाथं सदानन्द भाजाम् ।

भवद्भव्य भूतॆश्वरं भूतनाथं, शिवं शङ्करं शम्भु मीशानमीडॆ ॥ 1 ॥

 

गलॆ रुण्डमालं तनौ सर्पजालं महाकाल कालं गणॆशादि पालम् ।

जटाजूट गङ्गॊत्तरङ्गै र्विशालं, शिवं शङ्करं शम्भु मीशानमीडॆ ॥ 2॥


मुदामाकरं मण्डनं मण्डयन्तं महा मण्डलं भस्म भूषाधरं तम् ।

अनादिं ह्यपारं महा मॊहमारं, शिवं शङ्करं शम्भु मीशानमीडॆ ॥ 3 ॥

 

वटाधॊ निवासं महाट्टाट्टहासं महापाप नाशं सदा सुप्रकाशम् ।

गिरीशं गणॆशं सुरॆशं महॆशं, शिवं शङ्करं शम्भु मीशानमीडॆ ॥ 4 ॥

 

गिरीन्द्रात्मजा सङ्गृहीतार्धदॆहं गिरौ संस्थितं सर्वदापन्न गॆहम् ।

परब्रह्म ब्रह्मादिभिर्-वन्द्यमानं, शिवं शङ्करं शम्भु मीशानमीडॆ ॥ 5 ॥

 

कपालं त्रिशूलं कराभ्यां दधानं पदाम्भॊज नम्राय कामं ददानम् ।

बलीवर्धमानं सुराणां प्रधानं, शिवं शङ्करं शम्भु मीशानमीडॆ ॥ 6 ॥

 

शरच्चन्द्र गात्रं गणानन्दपात्रं त्रिनॆत्रं पवित्रं धनॆशस्य मित्रम् ।

अपर्णा कलत्रं सदा सच्चरित्रं, शिवं शङ्करं शम्भु मीशानमीडॆ ॥ 7 ॥


हरं सर्पहारं चिता भूविहारं भवं वॆदसारं सदा निर्विकारं।

श्मशानॆ वसन्तं मनॊजं दहन्तं, शिवं शङ्करं शम्भु मीशानमीडॆ ॥ 8 ॥

 

स्वयं यः प्रभातॆ नरश्शूल पाणॆ पठॆत् स्तॊत्ररत्नं त्विहप्राप्यरत्नम् ।

सुपुत्रं सुधान्यं सुमित्रं कलत्रं विचित्रैस्समाराध्य मॊक्षं प्रयाति ॥


श्री शिव अष्टकम के लाभ(Shiv Ashtakam Ke Labh Hindi Me):-


श्री शिव अष्टकम(Shiv Ashtakam in Sanskrit) - Bhaktilok

श्री शिव अष्टकम के लाभ(Shiv Ashtakam Ke Labh Hindi Me):-


  1. श्री शिव अष्टकम का पाठ करने से मनुष्य के सारे कष्टों का निवारण होता है
  2. श्री शिव अष्टकम का पाठ करने से मनुष्य के जीवन में सुख समृद्धि का वास होता है
  3. यह पाठ बहुत शक्तिशाली पाठ माना जाता है
  4. यह पाठ करने से सब मनोकामना की पूर्ति होती है
  5. इस पाठ का फल थोड़े समय में ही मिल जाता है


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