शान्ताकारं भुजगशयनं पद्मनाभं श्लोक इन संस्कृत अर्थ सहित (shaantaakaaran bhujagashayanan padmanaabhan shlok)

Deepak Kumar Bind

शान्ताकारं भुजगशयनं पद्मनाभं श्लोक इन संस्कृत अर्थ सहित (shaantaakaaran bhujagashayanan padmanaabhan shlok):-

शान्ताकारं भुजगशयनं पद्मनाभं श्लोक इन संस्कृत अर्थ सहित (shaantaakaaran bhujagashayanan padmanaabhan shlok)

शान्ताकारं भुजगशयनं पद्मनाभं श्लोक इन संस्कृत अर्थ सहित (shaantaakaaran bhujagashayanan padmanaabhan shlok):-


शान्ताकारं भुजगशयनं पद्मनाभं सुरेशं

विश्वाधारं गगनसदृशं मेघवर्ण शुभाङ्गम् ।

लक्ष्मीकान्तं कमलनयनं योगिभिर्ध्यानगम्यम्

वन्दे विष्णुं भवभयहरं सर्वलोकैकनाथम् ॥

 

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शान्ताकारम भुजगशयनम पद्मनाभम सुरेशं हिंदी अर्थ(shaantaakaaran bhujagashayanan padmanaabham sureshan hindee arth):-

  1. शान्ताकारं का अर्थ (shaantaakaaran ka arth) – जिनकी आकृति अतिशय शांत है। वह जो धीर क्षीर गंभीर हैं।
  2. भुजग-शयनं का अर्थ (bhujang-shayanan ka arth) – जो शेषनाग की शैया पर शयन किए हुए हैं (विराजमान हैं)।
  3. पद्मनाभं का अर्थ (padmanaabhan ka arth) – जिनकी नाभि में कमल है।
  4. सुरेशं का अर्थ (sureshan ka arth) – जो देवताओं के भी ईश्वर और
  5. विश्वाधारं का अर्थ (vishvaadhaaran ka arth) – जो संपूर्ण जगत के आधार हैं। संपूर्ण विश्व जिनकी रचना है।
  6. गगन-सदृशं का अर्थ (gagan-sadrshan ka arth) – जो आकाश के सदृश सर्वत्र व्याप्त हैं।
  7. मेघवर्ण का अर्थ (meghavarn ka arth) – नीलमेघ के समान जिनका वर्ण है।
  8. शुभाङ्गम् का अर्थ (shubhaangam ka arth) – अतिशय सुंदर जिनके संपूर्ण अंग हैं। जो अति मनभावन एवं सुंदर है
  9. लक्ष्मीकान्तं का अर्थ (lakshmeekaantan ka arth) – ऐसे लक्ष्मी के कान्त ( लक्ष्मीपति )
  10. कमल-नयनं का अर्थ (kamal-nayan ka arth) – कमलनेत्र (जिनके नयन कमल के समान सुंदर हैं)
  11. योगिभिर्ध्यानगम्यम् का अर्थ (yogibhirdhyaanagamyam ka arth) – जो योगियों द्वारा ध्यान करके प्राप्त किए जाते हैं। (योगी जिनको प्राप्त करने के लिया हमेशा ध्यानमग्न रहते हैं)
  12. वन्दे विष्णुं का अर्थ (vande vishnun ka arth) – भगवान श्रीविष्णु को मैं प्रणाम करता हूँ (ऐसे परमब्रम्ह श्री विष्णु को मेरा नमन है)
  13. भवभय-हरं का अर्थ (bhavabhay-haran ka arth) – जो जन्म-मरण रूप भय का नाश करने वाले हैं। जो सभी भय को नाश करने वाले हैं
  14. सर्वलोकैक-नाथम्  का अर्थ (sarvalok-naatham ka arth) – जो संपूर्ण लोकों के स्वामी हैं। सभी चराचर जगत के ईश्वर है






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