संत ना छाडै संतई जो कोटिक मिले असंत चन्दन भुवंगा बैठिया दोहे का अर्थ(Sant Na Chhaadai Santai Jo Kotik Mile Asant Chandan Dohe Ka Arth Hindi Me):-
संत ना छाडै संतई, जो कोटिक मिले असंतचन्दन भुवंगा बैठिया, तऊ सीतलता न तजंत।
संत ना छाडै संतई जो कोटिक मिले असंत चन्दन भुवंगा बैठिया दोहे का अर्थ(Sant Na Chhaadai Santai Jo Kotik Mile Asant Chandan Dohe Ka Arth Hindi Me):-
सज्जन को चाहे करोड़ों दुष्ट पुरुष मिलें फिर भी वह अपने भले स्वभाव को नहीं छोड़ता। चन्दन के पेड़ से सांप लिपटे रहते हैं, पर वह अपनी शीतलता नहीं छोड़ता
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