राधा रानी की आरती (Radha rani ki aarti Lyrics in Hindi) -
आरती श्री वृषभानुसुता की
मंजुल मूर्ति मोहन ममता की ॥
त्रिविध तापयुत संसृति नाशिनि
विमल विवेकविराग विकासिनि ।
पावन प्रभु पद प्रीति प्रकाशिनि
सुन्दरतम छवि सुन्दरता की ॥
आरती श्री वृषभानुसुता की..॥
मुनि मन मोहन मोहन मोहनि
मधुर मनोहर मूरति सोहनि ।
अविरलप्रेम अमिय रस दोहनि
प्रिय अति सदा सखी ललिता की ॥
आरती श्री वृषभानुसुता की..॥
संतत सेव्य सत मुनि जनकी
आकर अमित दिव्यगुन गनकी ।
आकर्षिणी कृष्ण तन मनकी
अति अमूल्य सम्पति समता की ॥
आरती श्री वृषभानुसुता की..॥
आरती श्री वृषभानुसुता की ।
कृष्णात्मिका कृष्ण सहचारिणि
चिन्मयवृन्दा विपिन विहारिणि ।
जगजननि जग दुखनिवारिणि
आदि अनादिशक्ति विभुता की ॥
आरती श्री वृषभानुसुता की..॥
आरती श्री वृषभानुसुता की
मंजुल मूर्ति मोहन ममता की ॥
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