श्री चन्द्रशेखराष्टकम् (Chandrasekhara Ashtakam Lyrics in Hindi) - Damaru - Bhaktilok

Deepak Kumar Bind

 

श्री चन्द्रशेखराष्टकम् (Chandrasekhara Ashtakam Lyrics  in Hindi) - 


चन्द्रशेखर चन्द्रशेखर चन्द्रशेखर पाहिमाम् |

चन्द्रशेखर चन्द्रशेखर चन्द्रशेखर रक्षमाम् ‖


रत्नसानु शरासनं रजताद्रि शृङ्ग निकेतनं

शिञ्जिनीकृत पन्नगेश्वर मच्युतानल सायकम् |

क्षिप्रदग्द पुरत्रयं त्रिदशालयै रभिवन्दितं

चन्द्रशेखरमाश्रये मम किं करिष्यति वै यमः ‖ 1 ‖


मत्तवारण मुख्यचर्म कृतोत्तरीय मनोहरं

पङ्कजासन पद्मलोचन पूजिताङ्घ्रि सरोरुहं |

देव सिन्धु तरङ्ग श्रीकर सिक्त शुभ्र जटाधरं

चन्द्रशेखरमाश्रये मम किं करिष्यति वै यमः ‖ 2 ‖


कुण्डलीकृत कुण्डलीश्वर कुण्डलं वृषवाहनं

नारदादि मुनीश्वर स्तुतवैभवं भुवनेश्वरं |

अन्धकान्तक माश्रितामर पादपं शमनान्तकं

चन्द्रशेखरमाश्रये मम किं करिष्यति वै यमः ‖ 3 ‖


पञ्चपादप पुष्पगन्ध पदाम्बुज द्वयशोभितं

फाललोचन जातपावक दग्ध मन्मध विग्रहं |

भस्मदिग्द कलेबरं भवनाशनं भव मव्ययं

चन्द्रशेखरमाश्रये मम किं करिष्यति वै यमः ‖ 4 ‖


यक्ष राजसखं भगाक्ष हरं भुजङ्ग विभूषणम्

शैलराज सुता परिष्कृत चारुवाम कलेबरम् |

क्षेल नीलगलं परश्वध धारिणं मृगधारिणम्

चन्द्रशेखरमाश्रये मम किं करिष्यति वै यमः ‖ 5 ‖


भेषजं भवरोगिणा मखिलापदा मपहारिणं

दक्षयज्ञ विनाशनं त्रिगुणात्मकं त्रिविलोचनं |

भुक्ति मुक्ति फलप्रदं सकलाघ सङ्घ निबर्हणं

चन्द्रशेखरमाश्रये मम किं करिष्यति वै यमः ‖ 6 ‖


विश्वसृष्टि विधायकं पुनरेवपालन तत्परं

संहरं तमपि प्रपञ्च मशेषलोक निवासिनं |

क्रीडयन्त महर्निशं गणनाथ यूथ समन्वितं

चन्द्रशेखरमाश्रये मम किं करिष्यति वै यमः ‖ 7 ‖


भक्तवत्सल मर्चितं निधिमक्षयं हरिदम्बरं

सर्वभूत पतिं परात्पर मप्रमेय मनुत्तमं |

सोमवारिन भोहुताशन सोम पाद्यखिलाकृतिं

चन्द्रशेखर एव तस्य ददाति मुक्ति मयत्नतः ‖ 8 ‖

॥ इति श्री चन्द्रशेखराष्टकम् सम्पूर्णम् ॥


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