अर्थ सहित श्री हनुमान स्तुति (Arth Sahit Sri Hanuman Stuti Lyrics in Hindi) -
अतुलितबलधामं हेमशैलाभदेहम्
दनुजवनकृशानुं ज्ञानिनामग्रगण्यम् |
सकलगुणनिधानं वानराणामधीशम्
रघुपतिप्रियभक्तं वातजातं नमामि ||
अर्थात :- मैं अतुल बल धाम को नमन करता हूँ, सोने के पहाड़ जैसा सुडौल शरीर वाला व्यक्ति, जो ज्ञान के रूप में, दानवों रूपी जंगल को नष्ट कर देता है, सभी गुणों की सम्पदा, वानरस्वामी, श्री रघुनाथ जी के प्रिये भक्त पवनपुत्र श्री हनुमान जी को मैं प्रणाम करता हूं |
मनोजवं मारुततुल्यवेगं जितेन्द्रियं बुद्धिमतां वरिष्ठम्।
वातात्मजं वानरयूथमुख्यं श्रीरामदूतम् शरणं प्रपद्ये।।- रामरक्षास्तोत्रम् 23
अर्थात :- जिनकी मन के समान गति और वायु के समान वेग है, जो परम जितेन्दिय और बुद्धिमानों में श्रेष्ठ हैं, उन पवनपुत्र वानरों में प्रमुख श्रीरामदूत की मैं शरण लेता हूं। कलियुग में हनुमानजी की भक्ति से बढ़कर किसी अन्य की भक्ति में शक्ति नहीं है।
रामाय रामभद्राय रामचन्द्राय वेधसे ।
रघुनाथाय नाथाय सीतायाः पतये नमः ॥
(श्रीरामरक्षास्तोत्र; पद्मपुराणादि)
अर्थात :- भगवान् श्रीराम, रामभद्र, रामचन्द्र, सर्वकारणों के कारण परम-कर्ता (वेधस), रघुनाथ, सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड के स्वामी (नाथ), सीतापति को नमस्कार है!
'ॐ हनुमंते नम:'
If you liked this post please do not forget to leave a comment. Thanks