सोने वाले जाग जा संसार मुसाफिर खाना है लिरिक्स (Sone Wale Jaag Ja Sansar Musafir Khana Hai Lyrics in Hindi) - Vividh Bhajan - Bhaktilok

Deepak Kumar Bind


सोने वाले जाग जा संसार मुसाफिर खाना है लिरिक्स  (Sone Wale Jaag Ja Sansar Musafir Khana Hai Lyrics in Hindi) -


किस धुन में बैठा बावरे

किस मद में मस्ताना है

सोने वाले जाग जा

संसार मुसाफिर खाना है

हरी बोल


क्या लेकर के आया था जग में

फिर क्या लेकर जाएगा

मुठी बांधे आया जग में

हाथ पसारे जाना है 

सोने वाले जाग जा

संसार मुसाफिर खाना है


कोई आज गया कोई कल गया

कोई चंद रोज में जाएगा

जिसकी घर से निकल गया पंछी

उस घर में फिर नहीं आना है

सोने वाले जाग जा

संसार मुसाफिर खाना है


सूत मात पिता बांधव नारी

धन धान यही रह जायेगा

यह चंद रोज की यारी है

फिर अपना कौन बेगाना है

सोने वाले जाग जा

संसार मुसाफिर खाना है


कहे देवेंद्र हरी नाम जपो

फिर ऐसा समय ना आएगा

पाकर कंचन सी काया को

हाथ मसल पछताना है

सोने वाले जाग जा

संसार मुसाफिर खाना है


*** Singer : Prakash Gandhi ***



 

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