षडङ्गन्यासा मंत्र(Shadanganyaasa Mantra Sanskrit Me) :-
षडङ्गन्यासा मंत्र(Shadanganyaasa Mantra Sanskrit Me) :-
गायत्री मंत्रः-
ॐ भूर्भुवः स्वः । तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गोदेवस्य धीमहि । धियो योनः प्रचोदयात् ।
षडङ्गन्यासा मंत्र(Shadanganyaasa Mantra Sanskrit Me):-
ॐ भू: हृदयाय नमः । ॐ भुवः शिरसे स्वाहाः । ॐ स्वः शिखायै वपट् । ॐ तत्सवितुर्वरेण्यम् कवचाय हुम् । ॐ भग्र्गादेवश्य धीमहि नेत्रत्रयाय वौषट् । ॐ धियोयोनः प्रचोदयात् अस्त्राय फट् ।
जपान्ते मुद्राप्रदर्शनम्(Japante Mudrapradarshanam in Hindi):-
सरभिः - दोनों हाथों की अंगुलियाँ गूथकर बायें हाथ की तर्जनी से दाहिने हाथ की मध्यमा, मध्यमा से तर्जनी, अनामिका से कनिष्ठा और कनिष्ठा से अनामिका को मिलायें ।
ज्ञानम्:- दाहिने हाथ की तर्जनी से अंगूठा मिलाकर हृदय में तथा उसी प्रकार वायां हाथ वांये घुटने पर सीधा रखें ।
वैराग्यम्:-- दोनों तर्जनियों से अंगूठे को मिलाकर घुटने पर सीधा रखें । योनिः-- दोनों माध्यमाओं के नीचे से बायीं तर्जनी के ऊपर दाहिनी
अनामिका और दाहिनी तर्जनी पर बायीं अनामिका रख दोनों तर्जनियों से. वाँधकर दोनों मध्यमाओं को ऊपर रखें।।
शंखः- वायें अंगूठे की दाहिनी मुट्ठी में वाँध कर दाहिने अंगूठे से बांयीं अंगुलियों को मिलायें ।
पंकजम् - दोनों हाथों के अंगूठों तथा अंगुलियों को मिलाकर ऊपर की ओर करें ।
लिङ्गम् - दाहिने अंगूठे को सीधा रखते हुए दोनों हाथों की अंगुलियों को गूंथ कर वायें अंगूठे से दाहिने अंगूठे को मोड़कर सीधा रखें ।
निर्वाणम् - उलटे वायें हाथ पर दाहिने हाथ को सीधा रखकर अंगुलियों को परस्पर गूंथ दोनों हाथ अपनी ओर घुमाकर दोनों तर्जनियों को सीधे कान के समीप करें ।
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