संत ना छाडै संतई जो कोटिक मिले असंत दोहे का अर्थ(Sant Na Chaade Jo Kotik Mile Asant Dohe Ka Arth in Hindi) - Bhaktilok

Deepak Kumar Bind


संत ना छाडै संतई जो कोटिक मिले असंत दोहे का अर्थ(Sant Na Chaade Jo Kotik Mile Asant Dohe Ka Arth in Hindi):- 


संत ना छाडै संतई, जो कोटिक मिले असंत ।

चन्दन भुवंगा बैठिया, तऊ सीतलता न तजंत ।


संत ना छाडै संतई जो कोटिक मिले असंत दोहे का अर्थ(Sant Na Chaade Jo Kotik Mile Asant Dohe Ka Arth in Hindi) - Bhaktilok


संत ना छाडै संतई जो कोटिक मिले असंत दोहे का अर्थ(Sant Na Chaade Jo Kotik Mile Asant Dohe Ka Arth in Hindi):-

सज्जन पुरुष किसी भी परिस्थिति में अपनी सज्जनता नहीं छोड़ते चाहे कितने भी दुष्ट पुरुषों से क्यों ना घिरे हों। ठीक वैसे ही जैसे चन्दन के वृक्ष से हजारों सर्प लिपटे रहते हैं लेकिन वह कभी अपनी शीतलता नहीं छोड़ता।




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