संध्या वंदन करने की सही विधि मंत्र सहित(Sandhya Vandan Mantra Lyrics):-
संध्या वंदन करने की सही विधि मंत्र सहित(Sandhya Vandan Karane Ki sahi Vidhi Mantra Sahit in Hindi and Sanskrit):-
सन्ध्या येन न विज्ञाता सन्ध्या येनानुपासिता ।
जीवमानो भवेच्छूद्रो मृतश्च श्वाऽभिजायते ।।
(मरीचिः) :-
उत्तमा तारकोपेता मध्यमा लुप्ततारका ।
अधमा सूर्यसहिता प्रातः सन्ध्या त्रिधा स्मृता ।।
उत्तमा सूर्यसहिता मध्यमा लुप्तभास्करा |
अधमा तारकोपेता सायं सन्ध्या त्रिधा मता ।।
(आचारमयूखे):-
- अग्नितीर्थ - दाहिनी हथेली के मध्य भाग में ।
- ब्रह्मतीर्थ - अंगूठे के मूल भाग में ।
- देवतीर्थ - अंगुलियों के अग्रभाग
- कायतीर्थ - कनिष्ठा के मूल भाग में ।
- पितृतीर्थ - तर्जनी के मूल भाग में ।
रुद्राक्ष-माहात्म्यम् :-
रुद्राक्षा यस्य गात्रेषु ललाटे च त्रिपुण्डकम् ।
स चाण्डालोऽपि सम्पूज्यः सर्ववोत्तमो भवेत् ।।
अभक्तो वा विमक्तो वा नीचो नीचतरोऽपि वा ।
रुद्राक्षं धारयेद्यस्तु मुच्यते सर्वपातकैः ।।
सन्ध्या प्रयोग :-
यथोक्त स्नान करने के पश्चात् श्वेत विना सिला हुआ, जो धोबी का धोया हुआ न हो, उस वस्त्र को पहन कर उपवस्त्र लेकर कुशा आदि विहित आसन पर पूर्व दिशा की ओर अपना मुखकर बैठ जाँय । हाथ में कुश अथवा सुवर्ण तथा चाँदी की अंगूठी धारण कर सन्ध्या करें ।
सर्व-प्रथम यज्ञीय भस्म को वाँयें हाथ में लेकर जल मिलाते हुए अधोलिखित मंत्र से अभिमन्त्रित करें-
ॐ अग्निरिति भस्म । ॐ वायुरिति भस्म । ॐ जलमिति भस्म । ॐ स्थलमिति भस्म । ॐ व्योमेति भस्म । ॐ सर्व हवा इदं भस्म । ॐ मन एतांसि चक्षूपि भस्मानीति ।
If you liked this post please do not forget to leave a comment. Thanks