प्रेम न बाडी उपजे प्रेम न हाट बिकाई दोहे का अर्थ(Prem Na Badi Upaje Prem Na Haat Bikai Dohe Ka Arth in Hindi)

Deepak Kumar Bind

 

प्रेम न बाडी उपजे प्रेम न हाट बिकाई दोहे का अर्थ(Prem Na Badi Upaje Prem Na Haat Bikai Dohe Ka Arth in Hindi):-


प्रेम न बाडी उपजे प्रेम न हाट बिकाई ।
राजा परजा जेहि रुचे सीस देहि ले जाई ।

 

प्रेम न बाडी उपजे प्रेम न हाट बिकाई दोहे का अर्थ(Prem Na Badi Upaje Prem Na Haat Bikai Dohe Ka Arth in Hindi)


प्रेम न बाडी उपजे प्रेम न हाट बिकाई दोहे का अर्थ(Prem Na Badi Upaje Prem Na Haat Bikai Dohe Ka Arth in Hindi):-

प्रेम खेत में नहीं उपजता प्रेम बाज़ार में नहीं बिकता चाहे कोई राजा हो या साधारण प्रजा – यदि प्यार पाना चाहते हैं तो वह आत्म बलिदान से ही मिलेगा। त्याग और बलिदान के बिना प्रेम को नहीं पाया जा सकता। प्रेम गहन- सघन भावना है – खरीदी बेचे जाने वाली वस्तु नहीं !



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