पितृ पक्ष की कथा लिरिक्स (Pittra Paksh Ki Katha Lyrics In Hindi) - Pitra Dev Ke Bhajan - BHaktilok

Deepak Kumar Bind

 

पितृ पक्ष की कथा लिरिक्स (Pittra Paksh Ki Katha Lyrics In Hindi) -


हम पितृ देव महाराज की भक्तो कथा सुनाते है हम कथा सुनाते है

सुन इस गाथा को पितृ दोष से मुक्त हो जाते है हम कथा सुनाते है 

हम पितृ देव महाराज की भक्तो कथा सुनाते है पावन गाथा सुनाते

सुन इस गाथा को पितृ दोष से मुक्त हो जाते है हम कथा सुनाते है 

ये कथा है बड़ी महान सब सुनो लगा के ध्यान 

सब सुनो लगा के ध्यान ये कथा है बड़ी महान ||


श्राद्ध पक्ष में प्रातः उठकर करते सब स्नान 

अपने पितरो को फिर देते श्रद्धा से पिंड दान

सोलह दिन इस श्राद्ध पक्ष के है पितरो के नाम 

मुक्ति उनको दिलाने का हम करते है ये काम    

पितृ पक्ष में करते जो भी अन्न वस्त्रो का दान 

पितरो से सब खुशियों का मिल जाता हे वरदान    

पितरो के आशीष से कारज बिगड़े बन जाए 

कोई भी अनहोनी घर के दर से टल जाए    

श्राद्ध के सोलह दिन पूर्वज धरती पे आते है 

हम पितृपक्ष की पावन भक्तो गाथा सुनाते है हम गाथा गाते है

ये कथा है बड़ी महान सब सुनो लगा के ध्यान 

सब सुनो लगा के ध्यान ये कथा है बड़ी महान ||


पितृ पक्ष से जुडी कथा में आगे बताता हूँ

महाभारत संग क्या है नाता ये समझाता हूँ

युद्ध में वीरगति पाकर ना कर्ण को मुक्ति मिली

सोना चांदी खाने मिले जो भूख थी इनको लगी

दुखी कर्ण ने इंद्र देव से कहा ये जा करके

रत्न आभूषण कोई कैसे रहेगा खा कर के    

इंद्र देव बोले तुमने तो यही किया था दान

कभी ना ब्राह्मण को तुमने था किया अन्न का दान    

बिन तर्पण के सारे पूर्वज रुष्ट हो जाते है 

सुन इस गाथा को पितृ दोष से मुक्त हो जाते है हम कथा सुनाते है 

ये कथा है बड़ी महान सब सुनो लगा के ध्यान 

सब सुनो लगा के ध्यान ये कथा है बड़ी महान ||

    

इंद्र से बोला कर्ण प्रभुवर मेरा क्या था दोष 

सबने पुकारा सूद पुत्र जब से था संभाला होश 

पूर्वज की मुक्ति का उपाय ना किसी ने बतलाया 

पिंड दान में उचित विधि से तभी ना कर पाया 

अपनी भूल सुधारने को मुझे सोलह दिन दे उधार

कर के अन्न का दान मैं अपनी भूल का कर लू सुधार

वापिस वो धरती पर सोलह दिन के लिए आये 

घर में बुलाकर ब्राह्मण को अन्न दान भी कर आये 

अन्न के संग वस्त्रो का भी वो दान कर आते है हम कथा सुनाते है

सुन इस गाथा को पितृ दोष से मुक्त हो जाते है हम कथा सुनाते है 

ये कथा है बड़ी महान सब सुनो लगा के ध्यान 

सब सुनो लगा के ध्यान ये कथा है बड़ी महान ||


भक्तो वो सोलह दिन पितृ पक्ष के कहलाये 

मृत्यु के पश्चात् धरा पर कर्ण थे जो आये 

ऐसे ही पूर्वज धरती पर सोलह दिन आते है 

कर पूजा तर्पण हम उनको संतुष्ट कर जाते है 

श्रद्धा भाव से पितृ पक्ष में जो करता है दान 

प्रसन्न हो पूर्वज सब खुशियों का देते वरदान 

जो भी सच्चे मन से करते पितरो का सम्मान 

जहा रहे पूर्वज वही से रखते सब पर वो ध्यान 

इसी तरह पितरो की किरपा हम पा जाते है 

सुन इस गाथा को पितृ दोष से मुक्त हो जाते है हम कथा सुनाते है

ये कथा है बड़ी महान सब सुनो लगा के ध्यान 

सब सुनो लगा के ध्यान ये कथा है बड़ी महान ||


पितरो से जुडी एक कहानी और सुनाता हूँ 

जोगे भोगे दो भाइयो की बात बताता हूँ 

बड़ा भाई जोगे था धनवान छोटा भोगे गरीब 

बड़ी बहु धन पे इतराती छोटी कोसे नसीब 

पितृ पक्ष में जोगे की पत्नी बोली पति से 

मायके में भेजू में निमंत्रण आपकी सहमति से 

जोगे ने उसे टाल दिया करके कोई बहाना 

शुरू किया पत्नी ने उसे खरी खोटी सुनाना

पत्नी के घर वालो को न्योता दे आते है 

सुन इस गाथा को पितृ दोष से मुक्त हो जाते है हम कथा सुनाते है

ये कथा है बड़ी महान सब सुनो लगा के ध्यान 

सब सुनो लगा के ध्यान ये कथा है बड़ी महान ||


जोगे की पत्नी ने अपनी देवरानी बुलवाके 

कहा तुम बहना करो मदद मेरे घर में आके 

भोगे की भोली पत्नी ने कहा सदा था माना

किसके मन में स्वार्थ छिपा है ना उसने कभी जाना 

जेठानी की करके मदद सब बना डाले पकवान 

देवरानी तब जाने लगी कर खत्म वो अपने काम 

जोगे की पत्नी ने कहा ना रुकने को एक बार 

भूखी लौट गयी देवरानी अपने घर के द्वार 

इसके बाद हुआ क्या आगे हम बतलाते है हम कथा सुनाते है

सुन इस गाथा को पितृ दोष से मुक्त हो जाते है हम कथा सुनाते है

ये कथा है बड़ी महान सब सुनो लगा के ध्यान 

सब सुनो लगा के ध्यान ये कथा है बड़ी महान ||

जोगे की पत्नी ने सोचा भोजन में भी पकाऊ


करके अन्न का दान पितरो को संतुष्ट करके आउ

लेकिन देखा नहीं था घर में एक अन्न का दाना 

रोने लगी वो सोच के अब में कैसे बनाऊ खाना 

करती क्या भोगे की पत्नी वो थी एक दुखियारी 

नाम के पितरो की उसने फिर दे दी अग्यारी 

जोगे भोगे दोनों के पूर्वज धरा पे आये 

पहले पूर्वज बड़ा भाई जोगे के घर में जाए 

वहां पे देखा क्या उन्होंने आगे बताते है 

सुन इस गाथा को पितृ दोष से मुक्त हो जाते है हम कथा सुनाते है

ये कथा है बड़ी महान सब सुनो लगा के ध्यान 

सब सुनो लगा के ध्यान ये कथा है बड़ी महान ||


जोगे की ससुराल वाले भोजन करने लगे थे 

जोगे अपनी पत्नी संग इनकी सेवा में जुटे थे 

देख के ऐसा दृश्य पितरो का हुआ बड़ा अपमान 

रूठ के सबने तभी वहां से किया जल्द प्रस्थान 

भोगे के घर में जब पूर्वज भोजन करने आये    

अग्यारी की राख को वो भोजन के स्वरूप में पाए 

छोटे भाई की दुर्दशा किसी से ना छुप पायी    

बहुत तरस उसकी हालत पर सभी को तब आयी 

नदी के तट पर आके सब पूर्वज बतियाते है 

सुनके इस गाथा को पितृ दोष से मुक्त हो जाते है हम कथा सुनाते है

ये कथा है बड़ी महान सब सुनो लगा के ध्यान 

सब सुनो लगा के ध्यान ये कथा है बड़ी महान ||


भोगे के भूखे बच्चे जब माँ के पास आते है 

ना पा करके भोजन वो रोकर रह जाते है 

पूर्वज सोचे इसके संग कुछ ऐसा कर जाए 

इसके जीवन से कष्टों के बादल छट जाए 

धन नहीं भोगे के घर पर बहुत बड़ा है मन 

ऐसे लोगो का रहना नहीं हे उचित निर्धन 

उनके आशीर्वाद का जोगे उत्तम फल पाता है 

उसके घर में वापिस खुशियों का पल आ जाता है

अन्न भंडार से घर खाली पुरे भर जाते है 

सुन इस गाथा को पितृ दोष से मुक्त हो जाते है हम कथा सुनाते है

ये कथा है बड़ी महान सब सुनो लगा के ध्यान 

सब सुनो लगा के ध्यान ये कथा है बड़ी महान ||


*** Singer - Avinash Karn ***






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