नहीं शीतल है चंद्रमा हिम नहीं शीतल होय दोहे का अर्थ(Nahi Sheetal Hai Chandrama Him Nahi SHeetal Hoye Dohe Ka Arth in Hindi) - Bhaktilok

Deepak Kumar Bind


नहीं शीतल है चंद्रमा हिम नहीं शीतल होय दोहे का अर्थ(Nahi Sheetal Hai Chandrama Him Nahi SHeetal Hoye Dohe Ka Arth in Hindi): - 


नहीं शीतल है चंद्रमा, हिम नहीं शीतल होय ।

कबीर शीतल संत जन, नाम सनेही होय ।


नहीं शीतल है चंद्रमा हिम नहीं शीतल होय दोहे का अर्थ(Nahi Sheetal Hai Chandrama Him Nahi SHeetal Hoye Dohe Ka Arth in Hindi) - Bhaktilok


नहीं शीतल है चंद्रमा हिम नहीं शीतल होय दोहे का अर्थ(Nahi Sheetal Hai Chandrama Him Nahi SHeetal Hoye Dohe Ka Arth in Hindi):-

कबीर दास जी कहते हैं कि चन्द्रमा भी उतना शीतल नहीं है और हिमबर्फ भी उतना शीतल नहीं होती जितना शीतल सज्जन पुरुष हैं। सज्जन पुरुष मन से शीतल और सभी से स्नेह करने वाले होते हैं।




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