मुखड़ा क्या देखे दर्पण में भजन लिरिक्स (Mukhda Kya Dekhe Darpan Me Lyrics in Hindi) - Kabir Bhajan - Bhaktilok

Deepak Kumar Bind

 

मुखड़ा क्या देखे दर्पण में भजन लिरिक्स (Mukhda Kya Dekhe Darpan Me Lyrics in Hindi) - 


मुखड़ा क्या देखे दर्पण में

तेरे दया धरम नहीं मन में

कागज की एक नाव बनाई

छोड़ी गंगा-जल में

धर्मी कर्मी पार उतर गये

पापी डूबे जल में

आम की डारी कोयल राजी

मछली राजी जल में

साधु रहे जंगल में राजी

गृहस्थ राजी धन में

ऐंठी धोती पाग लपेटी

तेल चुआ जुलफन में

गली-गली की सखी रिझाई

दाग लगाया तन में

पाथर की इक नाव बनाई

उतरा चाहे छिन में

कहत ‘कबीर’ सुनो भाई साधो

चढ़े वो कैसे रन में

मुखड़ा क्या देखे दर्पण में

तेरे दया धरम नहीं मन में


*** Singer : Prakash Gandhi ***


 


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