कबीर देवल ढहि पड्या ईंट भई सेंवार दोहे का अर्थ(Kabir Deval Dhahi Pandaya Et Bhai Senvar Dohe Ka Arth in Hindi):-
कबीर देवल ढहि पड्या ईंट भई सेंवार ।
करी चिजारा सौं प्रीतड़ी ज्यूं ढहे न दूजी बार ।
कबीर देवल ढहि पड्या ईंट भई सेंवार दोहे का अर्थ(Kabir Deval Dhahi Pandaya Et Bhai Senvar Dohe Ka Arth in Hindi):-
कबीर कहते हैं शरीर रूपी देवालय नष्ट हो गया – उसकी ईंट ईंट – अर्थात शरीर का अंग अंग - शैवाल अर्थात काई में बदल गई। इस देवालय को बनाने वाले प्रभु से प्रेम कर जिससे यह देवालय दूसरी बार नष्ट न हो।
If you liked this post please do not forget to leave a comment. Thanks