जिहि घट प्रेम न प्रीति रस पुनि रसना नहीं नाम दोहे का अर्थ(Jihi Ghat Prem Na Priti Ras Puni Rasana Nahi Naam Dohe Ka Arth in Hindi):-
जिहि घट प्रेम न प्रीति रस, पुनि रसना नहीं नाम।
ते नर या संसार में , उपजी भए बेकाम ।
जिहि घट प्रेम न प्रीति रस पुनि रसना नहीं नाम दोहे का अर्थ(Jihi Ghat Prem Na Priti Ras Puni Rasana Nahi Naam Dohe Ka Arth in Hindi):-
जिनके ह्रदय में न तो प्रीति है और न प्रेम का स्वाद, जिनकी जिह्वा पर राम का नाम नहीं रहता – वे मनुष्य इस संसार में उत्पन्न हो कर भी व्यर्थ हैं। प्रेम जीवन की सार्थकता है। प्रेम रस में डूबे रहना जीवन का सार है।
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