हाड जले लकड़ी जले जले जलावन हार दोहे का अर्थ(Haad Jale Lakadi Jale Jale Ja;awan haar Dohe Ka Arth in Hindi):-
हाड जले लकड़ी जले जले जलावन हार ।कौतिकहारा भी जले कासों करूं पुकार ।
हाड जले लकड़ी जले जले जलावन हार दोहे का अर्थ(Haad Jale Lakadi Jale Jale Ja;awan haar Dohe Ka Arth in Hindi):-
दाह क्रिया में हड्डियां जलती हैं उन्हें जलाने वाली लकड़ी जलती है उनमें आग लगाने वाला भी एक दिन जल जाता है। समय आने पर उस दृश्य को देखने वाला दर्शक भी जल जाता है। जब सब का अंत यही हो तो पनी पुकार किसको दू? किससे गुहार करूं – विनती या कोई आग्रह करूं? सभी तो एक नियति से बंधे हैं ! सभी का अंत एक है !
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