गारी ही से उपजै कलह कष्ट औ मीच दोहे का अर्थ(Gari Hi Se Upaje Kalah kasht Au Meech Dohe Ka Arth in Hindi):-
गारी ही से उपजै, कलह कष्ट औ मीच।हारि चले सो सन्त है, लागि मरै सो नीच।
गारी ही से उपजै कलह कष्ट औ मीच दोहे का अर्थ(Gari Hi Se Upaje Kalah kasht Au Meech Dohe Ka Arth in Hindi):-
गाली से झगड़ा सन्ताप एवं मरने मारने तक की बात आ जाती है। इससे अपनी हार मानकर जो विरक्त हो चलता है, वह सन्त है, और गाली गलौच एवं झगड़े में जो व्यक्ति मरता है, वह नीच है।
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