बन्दे क्यों भटकत फिरता है सब कर्मों का खेल (Bande Kyu Bhatakata Phirata Hai Sab Karmo Ka Khel Hai Lyrics in Hindi) -
वन्दे क्यों भटकत फिरता है सब कर्मों का खेल।
जो तोय जीवन सफल बनाना कर भक्ति से मेल।।
कर्मों से मिलता राजपाट, कर्मों से मिले सुगड़ नारी।
कर्मों से धन दौलत पावै, कर्मों से पुत्र आज्ञाकारी।।
कर्म तराजू के दो पलड़े, तोल सके तो तोल।
सिर धुन-धुन पछतायेगा, ये जीवन मिला अमोल।।
कर्म प्रधान विश्व में वन्दे और सब रहा झमेला।
बिना कर्म के तरत न देखा कोई गुरु कोई चेला।।
खोटे कर्म छोड़ दे वन्दे जो जीवन सफल बनाना।।
जग के सब जंजाल छोड़ के हो भक्ति दीवाना।।।
करुणा कर केशव को भजकर यह जीवन शुद्ध बना ले तू।
काल कुर्की होयगी ये दिल पर भाव जगा ले तू।।
शुद्ध हृदय को कर ले और बुद्धि को निर्मल कर ले।
सदगुरु के पास चला जा तू ज्ञान दीप सागर भर ले।।
अब भी चेतगुमानी क्यों रहा मद में तू इठलाई।
कर्म रेख महावीर मिटे नहीं कर लाखों चतुराई ।।
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