अयं निजः परो वेति श्लोकार्थ(Ayam Nijh Paroveti Shlok Sanshkrit Arth Sahit) -
अयं निजः परो वेति श्लोकार्थ(Ayam Nijh Paroveti Shlok Sanshkrit Arth Sahit) -
अयं निजः परो वेति गणना लघु चेतसाम् |
उदारचरितानां तु वसुधैव कुटुम्बकम् |
अयं निजः परो वेति श्लोकार्थ(Ayam Nijh Paro Veti Shlokarth):-
यह मेरा है,यह उसका है ; ऐसी सोच संकुचित चित्त वोले व्यक्तियों की होती है;इसके विपरीत उदारचरित वाले लोगों के लिए तो यह सम्पूर्ण धरती ही एक परिवार जैसी होती है |
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