आ लौट के आजा हनुमान, तुम्हे श्री राम बुलाते हैं(Aa Laut Ke Aaja Hanuman Tumhe Shree Ram Bulate Hain Lyrocs in Hindi) -
आ लौट के आजा हनुमान, तुम्हे श्री राम बुलाते हैं।
जानकी के बसे तुममे प्राण, तुम्हे श्री राम बुलाते हैं॥
लंका जला के सब को हरा के तुम्ही खबर सिया की लाये।
पर्वत उठा के संजीवन ला के तुमने लखन जी बचाए।
हे बजरंगी बलवान, तुम्हे हम याद दिलाते हैं॥
पहले था रावण एक ही धरा पे, जिसको प्रभु ने संघारा।
तुमने सवारे थे काज सारे, प्रभु को दिया था सहारा।
जग में हे वीर सुजान भी तेरे गुण गाते हैं॥
है धरम संकट में धर्म फिर से, अब खेल कलयुग ने खेले।
हैं लाखों रावण अब तो यहाँ पे, कब तक लड़े प्रभु अकेले।
जरा देख लगा के ध्यान, तुम्हे श्री राम बुलाते हैं॥
है राम जी बिन तेरे अधूरे, अनजानी माँ के प्यारे।
भक्तो के सपने करने को पूरे, आजा पवन के दुलारे।
करने जग का कल्याण, तुम्हे श्री राम बुलाते हैं॥
साखी:
“राम मिलन के कराने जो तू खड़ा उदास
साधु संगत शोध ले राम उन्ही के पास”
सत्संग अमर झड़ी रे, जो कोई आवे संत री संगत में
अरे वाने खबर पड़ी, संतो सत्संग अमर झड़ी ||टेर||
सुग्रीव ने संगत राम जी की किनी, वानर फोज बनी साधो भाई
उस वानर की कोई है शाम रित, जो रावण से आन लड़ी
सत्संग अमर झड़ी रे, जो कोई आवे संत री संगत में
अरे वाने खबर पड़ी, संतो सत्संग अमर झड़ी ||टेर||
नरसी ने संगत पीपाजी की कीड़ी, सुई पर बात अडी है
56 करोड़ को भरो मायरो, वो आयो आप हरी रे सावरो
सत्संग अमर झड़ी रे, जो कोई आवे संत री संगत में
अरे वाने खबर पड़ी, संतो सत्संग अमर झड़ी ||टेर||
प्रह्लाद ने संगत सरियादेवी की कीड़ी, नाम पर बात अडी है
खम्भ फास हरिणाकश्यप मारियो फिर मिले हरी
सत्संग अमर झड़ी रे, जो कोई आवे संत री संगत में
अरे वाने खबर पड़ी, संतो सत्संग अमर झड़ी ||टेर||
लोहा ने संगत काट की किनी, समुद्र बिच नाव तिरी रे
उंडा नीर बता दे साधू, मारा सतगुरु पार करी रे संतो
सत्संग अमर झड़ी रे, जो कोई आवे संत री संगत में
अरे वाने खबर पड़ी, संतो सत्संग अमर झड़ी ||टेर||
उच्च नीच का भेद नहीं जाने, कहत कबीर सुनो भाई साधु
थारो आवो गमन मिटे रे संतो
सत्संग अमर झड़ी रे, जो कोई आवे संत री संगत में
अरे वाने खबर पड़ी, संतो सत्संग अमर झड़ी
||संत कबीर साहेब की जय हो ||
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