रामेश्वरम धाम तथा सेतु निर्माण की कथा (Rameshwaram Dham Tatha Setu Nirmaan Ki Katha Lyrics) -
जे रामेस्वर दरसनु करिहहिं। ते तनु तजि मम लोक सिधरिहहिं॥
जो गंगाजलु आनि चढ़ाइहि। सो साजुज्य मुक्ति नर पाइहि॥
अर्थात जो व्यक्ति मेरे द्वारा स्थापित रामेश्वरम आकर दर्शन करता है तत्पश्चात वह व्यक्ति अपने नश्वर शरीर को त्याग करके मेरे बैकुंठ लोक आएगा। और जो व्यक्ति गंगाजल रामेश्वरम में स्थित ज्योतिर्लिंग पर चढ़ाएगा वह मुझसे एकाकार हो जाएगा अर्थात वह मुझ में विलीन हो जाएगा वह मोक्ष की ओर तत्पर हो जाएगा।
रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग भी 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। इसकी विशेषता इस बात से लगाई जा सकती है कि स्वयं निराकार शिव हमेशा राम का ध्यान और राम की कथा गुणगान करते रहते थे और राम भगवान भी शिव के उपासक थे। वह ब्रह्म मुहूर्त में शिव की आराधना किए बिना कोई कार्य नहीं करते थे ।
परम रम्य उत्तम यह धरनी। महिमा अमित जाइ नहिं बरनी॥
करिहउँ इहाँ संभु थापना। मोरे हृदयँ परम कलपना॥
अर्थात यहां की धरती उत्तम प्रतीत होती है और साथ ही साथ इसकी महिमा शब्दों में नहीं की जा सकती है। मैं यहां अपने भगवान शिव की स्थापना करूंगा यह विचार मेरे हृदय में आया है मैं यह संकल्प लेता हूं।
श्री रामेश्वरम धाम कँहा पर है -
रामेश्वरम धाम तमिलनाडु के रामनाथपुरम जिले में स्थित है। यहां हिंद महासागर और बंगाल की खाड़ी से घिरा हुआ है। यदि आप इसे दूर से देखेंगे तो इसकी आकृति शंख की तरह दिखेगी ।हालांकि कालांतर में हिंद महासागर की लहरों में भारत के मुख्य भूमि से अलग- थलग कर दिया । जिसके परिणाम स्वरूप इसके चारों ओर पानी भर गया और यह एक दीप का आकार ले लिया।
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