आकाशवाणी मानसपाठ: श्रीराम प्रागट्य स्तुति (Shree Ram Pragaty Stuti Lyrics in Hindi) - RamcharitManas - Bhaktilok

Deepak Kumar Bind

 

आकाशवाणी मानसपाठ: श्रीराम प्रागट्य स्तुति (Shree Ram Pragaty Stuti Lyrics in Hindi) - 


दो.  सुर समूह बिनती करि पहुँचे निज निज धाम। 

      जगनिवास प्रभु प्रगटे अखिल लोक बिश्राम ॥ १९१ ॥ 


 छं.  भए प्रगट कृपाला दीनदयाला कौसल्या हितकारी। 

      हरषित महतारी मुनि मन हारी अद्भुत रूप बिचारी ॥ 

      लोचन अभिरामा तनु घनस्यामा निज आयुध भुज चारी। 

      भूषन बनमाला नयन बिसाला सोभासिंधु खरारी ॥ 

      कह दुइ कर जोरी अस्तुति तोरी केहि बिधि करौं अनंता। 

      माया गुन ग्यानातीत अमाना बेद पुरान भनंता ॥ 

      करुना सुख सागर सब गुन आगर जेहि गावहिं श्रुति संता। 

      सो मम हित लागी जन अनुरागी भयउ प्रगट श्रीकंता ॥ 

      ब्रह्मांड निकाया निर्मित माया रोम रोम प्रति बेद कहै। 

      मम उर सो बासी यह उपहासी सुनत धीर पति थिर न रहै ॥ 

      उपजा जब ग्याना प्रभु मुसकाना चरित बहुत बिधि कीन्ह चहै। 

      कहि कथा सुहाई मातु बुझाई जेहि प्रकार सुत प्रेम लहै ॥ 

      माता पुनि बोली सो मति डौली तजहु तात यह रूपा। 

      कीजै सिसुलीला अति प्रियसीला यह सुख परम अनूपा ॥ 

      सुनि बचन सुजाना रोदन ठाना होइ बालक सुरभूपा। 

      यह चरित जे गावहिं हरिपद पावहिं ते न परहिं भवकूपा ॥ 



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