श्री कुबेर चालीसा (Kuber chalisa Lyrics in Hindi) - Shree Kuber Chalisa Satyendra Pathak - Bhaktilok

Deepak Kumar Bind

 

श्री कुबेर चालीसा (Kuber chalisa Lyrics in Hindi) - 


।। दोहा ।।


जैसे अटल हिमालय

और जैसे अडिग सुमेर

ऐसे ही स्वर्ग द्वार पे

अविचल खडे कुबेर ।


विघ्न हरण मंगल करण

सुनो शरणागत की टेर

भक्त हेतु वितरण करो

धन माया के ढेर ।


।। चौपाई ।।


जै जै जै श्री कुबेर भंडारी

धन माया के तुम अधिकारी ।


तप तेज पुंज निर्भय भय हारी

पवन बेग सम तनु बलधारी ।


स्वर्ग द्वार की करे पहरे दारी

सेवक इन्द्र देव के आज्ञाकारी ।


यक्ष यक्षणी की है सेना भारी

सेनापती बने युद्ध में धनुधारी ।


महा योद्धा बन शस्त्र धारै

युद्ध करै शत्रु को मारै ।


सदा विजयी कभी ना हारै

भगत जनों के संकट टारै ।


प्रपितामह हैं स्वयं विधाता

पुलिस्त वंश के जन्म विख्याता ।


विश्रवा पिता इडविडा जी माता

विभिषण भगत आपके भ्राता ।


शिव चरणों में जब ध्यान लगाया

घोर तपस्या करी तन को सुखाया ।


शिव वरदान मिले देवत्य पाया

अमृत पान करी अमर हुई काया ।


धर्म ध्वजा सदा लिए हाथ में

देवी देवता सब फिरैं साथ में ।


पीताम्बर वस्त्र पहरे गात में

बल शक्ति पुरी यक्ष जात में ।


स्वर्ण सिंहासन आप विराजैं

त्रिशूल गदा हाथ में साजैं ।


शंख मृदंग नगारे बाजैं

गंधर्व राग मधुर स्वर गाजैं ।


चौंसठ योगनी मंगल गावैं

रिद्धी सिद्धी नित भोग लगावैं ।


दास दासनी सिर छत्र फिरावैं

यक्ष यक्षणी मिल चंवर ढुलावैं ।


ऋषियों में जैसे परशुराम बली हैं

देवन्ह में जैसे हनुमान बली हैं ।


पुरुषों में जैसे भीम बली हैं

यक्षों में ऐसे ही कुबेर बली हैं ।


भगतों में जैसे प्रल्हाद बड़े हैं

पक्षियो में जैसे गरुड बड़े हैं ।


नागों मे जैसे शेष बड़े हैं

वैसे ही भगत कुबेर बड़े हैं ।


कांधे धनुष हाथ में भाला

गले फुलो की पहनी माला ।


स्वर्ण मुकुट अरु देह विशाला

दूर दूर तक होए उजाला ।


कुबेर देव को जो मन में धारे

सदा विजय हो कभी न हारे ।


बिगड़े काम बन जाए सारे

अन्न धन के रहे भरे भण्डारे ।


कुबेर गरीब को आप उभारैं

कुबेर कर्ज को शीघ्र उतारैं ।


कुबेर भगत के संकट टारैं

कुबेर शत्रु को क्षण में मारैं ।


शीघ्र धनी जो होना चाहे

क्युं नही यक्ष कुबेर मनाए ।


यह पाठ जो पढे पढाए

दिन दुगना व्यापार बढाए ।


भूत प्रेत को कुबेर भगावैं

अडे काम को कुबेर बनावैं ।


रोग शोक को कुबेर नशावैं

कलंक कोढ को कुबेर हटावैं ।


कुबेर चढे को और चढादे

कुबेर गिरे को पुनः उठा दे ।


कुबेर भाग्य को तुरन्त जगा दे

कुबेर भुले को राह बता दे ।


प्यासे की प्यास कुबेर बुझा दे

भुखे की भुख कुबेर मिटा दे ।


रोगी का रोग कुबेर घटा दे

दुखिया क दुख कुबेर छुटा दे ।


बांझ की गोद कुबेर भरा दे

कारोबार को कुबेर बढा दे ।


कारागार से कुबेर छुडा दे

चोर ठगों से कुबेर बचा दे ।


कोर्ट केस में कुबेर जितावैं

जो कुबेर को मन में ध्यावै ।


चुनाव में जीत कुबेर करावै

मंत्री पद पर कुबेर बिठावैं ।


पाठ करे जो नित मन लाई

उसकी कला हो सदा सवाई ।


जिसपे प्रसन्न कुबेर की माई

उसका जीवन चले सुखदाई ।


जो कुबेर का पाठ करावै

उसका बेडा पार लगावै ।


उजडे घर को पुनः बसावै

शत्रु को भी मित्र बनावै ।


सहस्त्र पुस्तक जो दान कराई

सब सुख भोद पदार्थ पाई ।


प्राण त्याग कर स्वर्ग में जाई

मानस परिवार कुबेर कीर्ति गाई ।


।। दोहा ।।


शिव भक्तों में अग्रणी

श्री यक्षराज कुबेर

हृदय मे ज्ञान प्रकाश भर

कर दो दूर अंधेर ।


कर दो दूर अंधेर अब

जरा करो ना देर

शरण पडा हुं आपकी

दया की दृष्टि फेर ।


|| इति श्री कुबेर चालीसा ||


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