भवान्यष्टकस्तोत्रम् मां भवानी का शरणागति स्तोत्र (Bhavanyashtakam Stotram Lyrics in Hindi) -
“भवान्यष्टक” श्रीशंकराचार्यजी द्वारा रचित मां भवानी (शिवादुर्गा) का शरणागति स्तोत्र है।माँ भवानी शरणागतवत्सला होकर अपने भक्त को भोगस्वर्ग और मोक्ष प्रदान करती हैं।देवी की शरण में आए हुए मनुष्यों पर विपत्ति तो आती ही नहीं बल्कि वे शरण देने वाले हो जाते हैं।
भवान्यष्टक
न तातो न माता न बन्धुर्न दाता
न पुत्रो न पुत्री न भृत्यो न भर्ता।
न जाया न विद्या न वृत्तिर्ममैव
गतिस्त्वं गतिस्त्वं त्वमेका भवानि ॥1॥
न तातो न माता – न पिता न माता
न बन्धुर्न दाता – ना सम्बन्धी न भाई बहन न दाता
न पुत्रो न पुत्री – न पुत्र न पुत्री
न भृत्यो न भर्ता – ना सेवक न पति
न जाया न विद्या – न पत्नी न ज्ञान
न वृत्तिर्ममैव – और ना व्यापार ही मेरे हैं
गतिस्त्वं – एकमात्र तुम्हीं मेरी गति हो (तुम्हीं मेरा सहारा हो)
गतिस्त्वं – तुम्हीं मेरी गति हो (मैं केवल तुम्हारी शरण हूँ)
त्वमेका भवानि – हे भवानी
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