3 पावरफुल मंत्र - महामृत्युंजय मंत्र लिरिक्स | गायत्री मंत्र | माता दुर्गा के मंत्र | श्री हनुमान चालीसा -
महामृत्युंजय मंत्र लिरिक्स -
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् |उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात् ||मंत्र का अर्थ -
हम त्रिनेत्र को पूजते हैंजो सुगंधित हैं हमारा पोषण करते हैंजिस तरह फल शाखा के बंधन से मुक्त हो जाता हैवैसे ही हम भी मृत्यु और नश्वरता से मुक्त हो जाएं।
गायत्री मंत्र (Gayatri Mantra lyrics in Hindi ) -
ॐ भूर् भुवः स्वः |
तत् सवितुर्वरेण्यं |
भर्गो देवस्य धीमहि |
धियो यो नः प्रचोदयात् ||
माता दुर्गा के मंत्र (Durga Mata Mantra Lyrics in Hindi) -
शक्ति दायी मंत्र -
या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता ।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
आपत्ति उद्धारक मंत्र -
शरणागत दीनार्थ परित्राण परायणे।
सर्वस्यार्ति हरे देवी नारायणी नमोस्तुते।।
भय विनाशक मंत्र -
सर्व स्वरूपे सर्वेशे सर्वशक्ति समन्विते ।
भयेभ्यःस्त्राहि नो देवि दुर्र्गे देवि नमोस्तुते ।।
विपत्तिनाशक तथा शुभदायक मंत्र -
करोतु सा न: शुभहेतुरीश्वरी ।
शुभानि भद्राण्यभिहृन्तु चापद: ।।
महामारी नाशक मंत्र -
ओम् जयन्ती मंगलाकाली भद्रकाली कपालिनी।
दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोस्तुते ।।
सौभाग्य तथा आरोग्य कारक मंत्र -
देहि सौभाग्यमारोग्यम् देहि में परमं सुखम् ।
रूपम् देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जाहि ।।
सुलक्षणा पत्नी प्राप्ति के लिये -
पत्नीं मनोरमां देहि मनोवृतानुसारिणीम् ।
तारिणीम दुर्ग संसार-सागरस्य कुलोद्भवाम् ।।
इच्छित पति प्राप्ति के लिये -
ओम् कात्यायनि महामाये, महायोगिन्यधीश्वरी।
नन्दगोप सुते देवि पतिं में कुरू ते नम: ।।
शक्ति प्राप्ति के लिये -
सृष्टि - स्थिति विनाशानो शक्ति भूते सनातनी ।
गुणाश्रये-गुणमये नारायणि नमोस्तुते ।।
पुत्र प्राप्ति के लिये -
देवकीसुत गोविन्द: वासुदेव जगत्पते ।
देहि में तनयं कृष्ण: त्वामहं शरणं गत: ।।
श्री हनुमान चालीसा (Shree Hanuman Chalisa) -
दोहा :श्रीगुरु चरन सरोज रज निज मनु मुकुरु सुधारि।बरनऊं रघुबर बिमल जसु जो दायकु फल चारि।।बुद्धिहीन तनु जानिके सुमिरौं पवन-कुमार।बल बुद्धि बिद्या देहु मोहिं हरहु कलेस बिकार।।चौपाई :जय हनुमान ज्ञान गुन सागर।जय कपीस तिहुं लोक उजागर।।रामदूत अतुलित बल धामा।अंजनि-पुत्र पवनसुत नामा।।महाबीर बिक्रम बजरंगी।कुमति निवार सुमति के संगी।।कंचन बरन बिराज सुबेसा।कानन कुंडल कुंचित केसा।।हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजै।कांधे मूंज जनेऊ साजै।संकर सुवन केसरीनंदन।तेज प्रताप महा जग बन्दन।।विद्यावान गुनी अति चातुर।राम काज करिबे को आतुर।।प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया।राम लखन सीता मन बसिया।।सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा।बिकट रूप धरि लंक जरावा।।भीम रूप धरि असुर संहारे।रामचंद्र के काज संवारे।।लाय सजीवन लखन जियाये।श्रीरघुबीर हरषि उर लाये।।रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई।तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई।।सहस बदन तुम्हरो जस गावैं।अस कहि श्रीपति कंठ लगावैं।।सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा।नारद सारद सहित अहीसा।।जम कुबेर दिगपाल जहां ते।कबि कोबिद कहि सके कहां ते।।तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा।राम मिलाय राज पद दीन्हा।।तुम्हरो मंत्र बिभीषन माना।लंकेस्वर भए सब जग जाना।।जुग सहस्र जोजन पर भानू।लील्यो ताहि मधुर फल जानू।।प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं।जलधि लांघि गये अचरज नाहीं।।दुर्गम काज जगत के जेते।सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते।।राम दुआरे तुम रखवारे।होत न आज्ञा बिनु पैसारे।।सब सुख लहै तुम्हारी सरना।तुम रक्षक काहू को डर ना।।आपन तेज सम्हारो आपै।तीनों लोक हांक तें कांपै।।भूत पिसाच निकट नहिं आवै।महाबीर जब नाम सुनावै।।नासै रोग हरै सब पीरा।जपत निरंतर हनुमत बीरा।।संकट तें हनुमान छुड़ावै।मन क्रम बचन ध्यान जो लावै।।सब पर राम तपस्वी राजा।तिन के काज सकल तुम साजा।और मनोरथ जो कोई लावै।सोइ अमित जीवन फल पावै।।चारों जुग परताप तुम्हारा।है परसिद्ध जगत उजियारा।।साधु-संत के तुम रखवारे।असुर निकंदन राम दुलारे।।अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता।अस बर दीन जानकी माता।।राम रसायन तुम्हरे पासा।सदा रहो रघुपति के दासा।।तुम्हरे भजन राम को पावै।जनम-जनम के दुख बिसरावै।।अन्तकाल रघुबर पुर जाई।जहां जन्म हरि-भक्त कहाई।।और देवता चित्त न धरई।हनुमत सेइ सर्ब सुख करई।।संकट कटै मिटै सब पीरा।जो सुमिरै हनुमत बलबीरा।।जै जै जै हनुमान गोसाईं।कृपा करहु गुरुदेव की नाईं।।जो सत बार पाठ कर कोई।छूटहि बंदि महा सुख होई।।जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा।होय सिद्धि साखी गौरीसा।।तुलसीदास सदा हरि चेरा।कीजै नाथ हृदय मंह डेरा।।दोहा :पवन तनय संकट हरन मंगल मूरति रूप।राम लखन सीता सहित हृदय बसहु सुर भूप।।
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