श्री ललिता सहस्रनाम स्तोत्रम् (Lalitha Sahasranamam Stotram Lyrics in Hindi ) -
श्री-माता श्री महा-रागिनी श्रीमतसिंह-सनेश्वरी
चिदग्नि कुंड-संभूत देव-कार्य समुद्यता - 1
उदयदबनु सह-सराभ चतुर-बहु समन-विता
राग-स्वरूप पाशाद्य क्रोध-कारंकु-शोज्वल – 2
मनो-रुपेक्षु कोदंड पंच तन्मात्र सयाका
निजरुण प्रभा-पुरा मजभ्रमण्डा मंडल - 3
चंपक शोक पुन्नग सौगंधिका लासत्कचा
कुरुविंदा मणि श्री कनतकोटिरा मंदिता - 4
अष्टमी चंद्र विभ्रज दलिकास्धाला शोभिता
मुख-चंद्र कलंकभ मृग-नाभि विशेषक - 5
वदनस-मरा मंगल्य गृहतोरण चिलिका
वक्त्र-लक्ष्मी परि-वह चलन-मिनाभ लोचन - 6
नव-चंपक पुष्पभ नासा-दंड विराजिता
तारकांति तिरस्कारी नासाभरण भासुर - 7
कदंब मंजरी क्लॉप्ता करना-पुरा मनो-हारा
तातंका युगलि-भूत तप-नोदुप मंडल - 8
पद्म-राग शिला-दर्शन परि-भावी कपोलभुः
नव-विद्रुमा बिनबश्री न्याक्करी रदनचड़ा - 9
शुद्ध विद्याकुराकर द्विजपंक्ति द्वैयोज्वल
कर्पूर-वितिकामोद समाकर्ष दिगंतर - 10
निजसंलाप माधुर्य विनिर्भस्तितकचपि
मंदस्मिता प्रभापुरा मजतकमेश मनसा - 11
अनाकलिता सद्रुस्य चुबुका श्री विराजिता
कामेश बड़ा मंगल्य सूत्र-शोभिता कंधार - 12
कनकंगदा केयूरा कमानीय भुजन्विता
रत्नाग्रै-वे चिंताकलोला मुक्ता फलनविता - 13
कामेश्वर प्रेम-रत्न मणि प्रति-पनास्तानी
नाभ्यलावाला रोमाली लता फला कुचद्वै - 14
लक्ष्य रोमलता भारत समुन्नेय मध्यमा
स्तना-भरा डालनमध्य पट्टा-बंध-वलित्रय - 15
अरुणारुना कौस्तुनभ वस्त्र भस्वत्कटिति
रत्न किंकिनीकारम्य राशनदम भूषिता - 16
कामेश-ज्ञानता सौभाग्य मर्द-वोरु द्वयन्विता
माणिक्य मुकुट कर जनुद्वय विराजिता - 17
एन्द्र-गोप परिक्षित स्मरतुनाभ जंघिका
गुडा-गुलफा कूर्म पृष्ठजैष्णु प्रपदान्विता - 18
नखदिधिति संचन्न समाजन तमोगुण
पदद्वय प्रभजल परकृता सरोरुहा - 19
शिंजनामणि मांगिरा मंदिता श्रीपदानबुजा
मराली मन्दगमन महा-लावण्य शेवाधिः - 20
सर्वरुणा नवद्यांगी सर्वभरण भूषिता
शिव-कामेश्वरनकस्धा शिव स्वाधीनवल्लभ - 21
सुमेरु श्रृंग-मध्यस्धा श्रीमन्नागर नायका
चिंतामणि गृहंतहंस्धा पंच ब्रमग संहिता – 22
महापद्मतवि संस्था कदंब वनवासिनी
सुधा सागर मध्यमाधा कामाक्षी कामदायिनी - 23
देवर्षिगण संघत स्तुयमनात्मा-वैभव
भंडासुर वधोयुक्त-शक्ति-सेना समन्वय – 24
संपातकारी समरुदा सिंधुरा व्रजसेविता
अस्वरुदाधिष्ठितस्व कोटि भिरव्रुता – 25
चक्र-राजा राधारूढ़ सर्व-युद्ध परिकृता
गेय-चक्र राधा-रुदा मन्त्रीनी परिसेवित – 26
किरि-चक्र राधा-रुधा दंडनाध पुरस्कृत
ज्वालामालिनीकशिप्ता महनी प्रकार मध्यग - 27
भांडसैन्य वधोयुक्त शक्ति विक्रम हर्षिता
नित्य पराक्रम मातोप निरीक्षण समुत्सक – 28
भांडा-पुत्र वधोयुक्त बालविक्रम नंदिता
मंत्रीन्यानब विरचिता विशंगवधातोशिता - 29
विषुक्र प्राणहरण वरही वीर्यनंदिता
कामेश्वर मुखलोक कल्पित श्रीगणेश्वर - 30
महा-गणेश निर्भिन्ना विघ्नयंत्र प्रहर्षिता
भांडा-सुरेंद्र निर्मुक्त शास्त्र प्रत्यास्त्र वर्षिणी - 31
करंगुली नखोतपन्न नारायण दशाकृतः
महापशुपतास्त्राग्नि निर्दग्ध सुरसैनिका - 32
कामेश्वरास्त्र निर्दगदा सभान्दासुर शून्यका
ब्रम्हपेंद्र महेंद्रादि देवसंधूतवैभव - 33
हरनेत्राग्नि संदग्दकम संजीवनोषधि:
श्रीमद्वग्भवकुटकिका स्वरूप मुखपंकज - 34
कंतधःकति पर्यन्त मध्यकूट स्वरूपिणी
शक्ति-कूटैकतपन्न कत्याधोभाग धारी - 35
मूलमंत्रात्मिका मूलकुटात्रय कालेबरा
कुलमृतिकारसिका कुलसंकेतपालिने - 36
कुलांगना लुलंतस्धा काओलिनी कुलयोगिनी
अकुला समयंतस्धा समयाचार तत्परा - 37
मूलाधारिका निलय ब्रम्हाग्रंधी विभेदिनी
मणिपुरंतरुदिता विष्णुग्रन्धि विभेदेदिने - 38
आज्ञा-चक्रांतरलस्धा रुद्र-ग्रन्धि विभेदिनी
सहस्ररानबुजरुदा सुधासारभिवर्षिणी - 39
ततिललता समारुचि शतचक्रोपरि संहिता
महाशक्ति-कुंडलिनी बिसतंतु तानियासी - 40
भवानी भावनागम्य भवरण्य कुतारिका
भद्रप्रिया भद्र-मूर्ति र्भक्त-सौभाग्यदायिनी – 41
भक्त-प्रया भक्त-गम्य भक्ति-वश्य भाय-पहा
शांभवी शारदाराध्य शरवानी शर्मादायिनी - 42
शंकरी श्रीकारी साध्वी सारचंद्र निभाना
शतोदरी शांतिमति निराधार निरंजना - 43
निर्पेपा निर्मल नित्य निराकार निराकुल
निर्गुण निष्कल शांता निष्काम निरूपप्लव - 44
नित्यमुक्त निर्विकार निसप्रपंच निराश्रय
नित्य-शुद्ध नित्य-बुद्ध निरवाद्य निरंतर - 45
निष्करण निष्कलंक निरुपधीरनिरीश्वर
निराग रागमाधनी निर्मदा मदनाशिनी - 46
निश्चिंत निरहंकार निर्मोह मोहनाशिनी
निर्मम ममताहन्त्री निष्पापा पापनाशिनी - 47
निष्क्रोध क्रोधशमनि निर्लोभ लोभनाशिनी
निसंधय संशयघ्नि निर्भवभवनाशिनी - 48
निर्विकल्प निर्भेद निर्भेद भेदनाशिनी
निर्णय मृत्युमाधनी निष्क्रिया निष्परिग्रह – 49
निस्तुला नीलाचिकुरा निरापय निरत्यय
दुर्लभ दुर्गम दुर्गा दुख-हंत्री सुखप्रदा - 50
दुष्ट-दुरा दुरचरशमनि दोषवर्जित
सर्वज्ञ सैंड्राकरुणा समानाधिका वर्जित – 51
सर्व-शक्तिमई सर्वमंगल सद्गतिप्रदा
सर्वेश्वरी सर्वमै सर्वमंत्रस्वरूपिणी - 52
सर्व-यंत्रत्मिका सर्वतंत्ररूपा मनोनमनी
महेश्वरी महादिवि महालक्ष्मी रुद्रप्रिया - 53
महारूपा महापूज्य महापताका नाशिनी
महामाया मगसत्व महाशक्तिमहारतिः- 54
महाभोग महेश्वर्य महावीर्य महाबल
महा-भूदिर्मासिर्द्धिरमहायोगेश्वरी - 55
महातंत्र महामंत्र महायंत्र महासना
महायग क्रमाद्य महाभैरव पूजिता - 56
महेश्वर महाकल्प महातांडव साक्षिणी
महाकामेश महिषी महात्रिपुरसुंदरी - 57
चतुष्ट्युपचाराद्य चतुशष्टि कलामेई
महाचतुषष्टिकोटि योगिनी गणसेविता - 58
मनुविद्या चंद्र विद्या चंद्रमंडल मध्याग
चारु रूपचारुहास चारुचंद्र कालधारा - 59
चराचर जगन्नाध चक्रराजा निकेतन
पार्वती पद्मनायन पद्ममार्ग समप्रभा - 60
पंचप्रेतासनसीना पंचब्रम्ह स्वरूपिणी
चिन्मयई परमानंद विज्ञानघनरूपिणी - 61
ध्यानाध्यात्रु ध्यानरूपा धर्मधर्म विवर्जित
विश्वरूप जागरिणी स्वपंती तैजसात्मिक – 62
सुप्त प्रज्ञानात्मिका तुर्य सर्ववस्धविवर्जित
पुष्टिकर्त्री ब्रम्हारूपा गोपत्री गोविंदरूपिणी - 63
संहारिणी रुद्ररूपा तिरोधनाकरिश्वरी
सदाशिवानुग्रहा पंचकृत्य परायण - 64
भानुमंडला मध्यमाधा भैरवी भागमालिनी
पद्मासन भगवती पद्मनाभ सहेदारी - 65
उन्मेष निमिषोत्पन्न विपन्न भुवनवलिः
सहस्रशीर्षवदान सहस्रक्षी सहस्रपत - 66
आब्रम्हकीताजननि वरवश्रम विधाईनी
निजज्ञ रूपनिगम पुण्यपुण्य फलप्रदा - 67
श्रुति सीमांत सिरुरिकृत पदब्जा धूलिका
सकलागम संदोहा शुक्ति संपुटा मौक्तिका - 68
पुरुषर्धप्रदा पूर्ण भोगिनी भुवनेश्वरी
अंबिका नाडी निदान परिब्रह्मेंद्र सेविता - 69
नारायणी नादरूपा नामरूप विवर्जिता
हृंकारी ह्रीमति हृदय हेयोपद्यवर्जित - 70
राजराजर्चिता रागिणी रम्य राजीवलोचन
रंजनी रमानी रस्य रणर्किंकिनी मेखला - 71
रमा रकेन्दुवदन रतिरूपा रतिप्रिया
रक्षक राक्षसघनी राम रमनलनपता - 72
काम्य कामकलरूप कदंब कुसुमाप्रिया
कल्याणी जगतिकंद करुणारससागर - 73
कलावती कलालपा कांता कदनबारी प्रिया
वरदा वामनयन वरुणिमदविह्वल - 74
विश्वाधिका विद्याविद्या विंध्याचल निवासिनी
विधात्री विद्याजननी विष्णु माया विलासिनी - 75
क्षेत्र-स्वरूप क्षेत्रेषी क्षेत्रक्षेत्रज्ञपालिनी
क्षय-वृद्धि विनिर्मुक्ता क्षेत्रपाल स्मृति- 76
विजया विमला वंद्य मंदरु जनवत्सल
वाग्वादिनी वामकेशी वह्नि मंडल वासिनी - 77
भक्तिमत्कल्पलटिका पशुपाश विमोचनि
संहृता शेषपशण्ड सदाचार प्रवर्तिका - 78
तपत्रयग्नि संतप्त समाह्लादन चंद्रिका
ततुनि तपसारध्या तनुमध्य तमो-पहा – 79
चिति स्तत्पादलक्ष्यर्ध चिदेकरस रूपिणी
स्वात्यानंदलविभूत ब्रम्हद्यानंद संततिः - 80
परप्रत्यक्चितिरूपा पश्यन्ति परदेवता
मध्यम वैखरिरूपा भक्तमानस हंसिका - 81
कामेश्री प्रणानदि कृतज्ञन कामपुजिता
श्रृंगाररस संपूर्णा जया जालंधरस्धिता - 82
ओद्यना पिता निलय निंदु मंडल वासिनी
रहोयागा क्रमाध्याय राहस्तर्पण तरपता - 83
सद्यः प्रसादिनी विश्वसाक्षिणी साक्षीवर्जित
षडंग देवता युक्त षद्गुण्य परिपुरिता - 84
नित्यक्लिन्न निरूपम निर्वाण सुखदैनी
नित्य षोडशिका रूप श्री कंतरधा शरीरिणी - 85
प्रभावती प्रभा रूपा प्रसिद्ध परमेश्वर
मूलप्रकृति व्यक्तव्यक्त स्वरूपिणी – 86
व्यापिनी विविधकारा विद्या विद्या स्वरूपिणी
महाकमेशनायन कुमुदहलाद कौमुदी - 87
भक्तहरधातमोभेदा भानुमदबनु संततिः
शिवदूती शिवराध्या शिवमूर्ति शिवांकरी - 88
शिवप्रिय शिवपरा शिष्टेश शिष्ट-पूजिता
अप्रमेय स्वप्रकाश मनोवाचमगोचर - 89
चिचक्ति शचेतनारूप जड़शक्ति जदात्मिका
गायत्री व्याह्रुति संध्या द्विजबृंद निशेमिता - 90
तत्वसना तत्वमै पंचकोशान्तरः संहिता
निसीमा महिमा नित्य-यवन मदशालिनी - 91
मदघर्णिता रक्ताक्षी मदपाताल गण्डभूः
चंदन द्रव दिग्धांगी चणपेय कुसुमाप्रिया - 92
कुशल कोमलकारा कुरुकुल्ला कुलेश्वरी
कुलकुंडालय कौलमर्ग तत्परा सेविता - 93
सुमार गणनाधनब तुष्टिः पुष्टिमति ध्रुतिः
शांति स्पष्टिमति मन्तिरानंदिनी विघ्ननाशिनी - 94
तेजोवती त्रिनयना लोलाक्षी कामरूपिणी
मालिनी हंसिनी माता मलयचल वासिनी - 95
सुमुखी नलिनी सुभ्रु शोभना सुरनेइका
करिकांति कांतिमति क्षोभिनी सूक्ष्मरूपिणी - 96
वज्रेश्वरी वामादेवी वायोवस्धा विवर्जिता
बडेश्वरी सिद्धविद्या सिद्धमाता यशस्विनी - 97
विशुद्धिचक्र निलय रक्तवर्ण त्रिलोचन
खत्वंगदि प्रहार वदनिका समन्वय – 98
पायसन्ना प्रिय त्वक्धा पशुलोक भयानक
अमृतादि महाशक्ति संवृता डाकिनिश्वरी - 99
अनाहतभजनिलय श्यामभ वदनद्वय
दंष्ट्रोज्वलक्षमलादि धरा रुधिरा संहिता - 100
कालरात्रिदिष्ट्याओ-घाव्रुता स्निग्धाओ-दान प्रिया
महावीरेंद्र वरदा राकिन्यानबा स्वरूपिणी - 101
मणिपुरब्ज निलय वदनत्रय संयुता
वज्रदिकायुधोपेट दयार्यादिभिरावुत - 102
रक्त-वर्ण मनशिष्ट गुदन्ना प्रीतामानस
समस्त भक्त सुखदा लकिन्यानबा स्वरूपिणी - 103
स्वाधिष्ठानबुजगता चतुरवक्त्र मनोहर
शुलद्ययुद्ध संपन्न पितावर्ण तिगर्वित - 104
मेधोनिष्ठा मदुप्रीता बंदिन्यादि समन्वय
दद्यन्नासक्त हृदय काकिनी रूपधारिणी - 105
मूलाधारंबुजरुधा पंचवक्त्रस्धि संहिता
अंकुशादि प्रहारण वरदादि निशेविता - 106
मुदगोदनसक्तचित्त शाकिन्यानब स्वरूपिणी
आज्ञाचक्रबज निलय शुक्लवर्ण षदनन - 107
मजसंधा हंसवती मुख्यशक्ति समन्वय
हरिद्रनै कारसिक हकिनीरूपा धारिणी - 108
सहस्रदल पद्मश्ध सर्ववर्णोपशोभिता
सर्वयुद्धधरशुक्ल संहिता सर्वतोमुखी - 109
सर्वोदान पितचित्त याकिन्यानबा स्वरूपिणी
स्वाहस्वधा मति रमेधा श्रुति: स्मृतिरानुत्तम - 110
पुण्यकीर्ति: पुण्यलभ्य पुण्यश्रवण कीर्तन
पुलोमाजरचिता बंधमोचनि बंधुरलका - 111
विमर्शरूपिणी विद्या विद्यादि जगतप्रसुः
सर्वव्याधि प्रशस्ति सर्वमृत्यु निवारिणी - 112
अग्रगण्य चिन्त्यरूप कलिकालमाशनशिनी
कात्यायनी कालाहन्त्री कमलाक्ष निशेविता - 113
तनबुलपुरितामुखी ददिमिकुसुमप्रभा
मृगशि मोहिनी मुद्रा मृदानी मित्ररूपिणी - 114
नित्यतृप्त भक्तनिधि रनियन्त्री निखिलेश्वरी
मैत्रिरादि वासनालभ्य महाप्रलयसाक्षिणी - 115
परशक्ति: परनिष्ठा प्रज्ञान घनरूपिणी
माध्वीपनालसा मत्त मातृकवर्ण रूपिणी - 116
महाकैलाश निलय मृणाल मृदुदोर्लता
महानिया दयामूर्ति राममहासाम्राज्यशालिनी - 117
आत्मविद्या महाविद्या श्रीविद्या कामसेविता
श्री षोडशक्षरिविद्या त्रिकुटा कामकोटिका - 118
कटाक्षकिंकारीभूत कमला कोटिसेविता
शीर्षाधिता चंद्रनिभा फलसधेंद्र धनुष प्रभा - 119
हृदयास्धा रवि प्रख्या त्रिकोणान्तर दीपिका
दक्षिणायनी दैत्यहन्त्री दक्षयज्ञ विनाशिनी - 120
दारंडोलिता दीर्घक्षि दरहसोज्वलनमुखी
गुरुमुर्तीर्गुणनिधि रगमाता गुहाजन्मभूः - 121
देवेशी दंडनित्धा दहरकाश रूपिणी
प्रतिपन्नमुख्यराकांता तिधिमंडला पूजिता - 122
कलात्मिका कलानध काव्यालप विनोदिनी
सच्चामार रामवाणी सव्यदक्षिणी सेविता - 123
आदिशक्ति रम्यात्मा परम पवनकृति:
अनेककोटि ब्रम्हंडा जननी दिव्यविग्रह - 124
क्लिकारी केवल गुह्यकैवल्य पददायिनी
त्रिपुरा त्रिजगद्वंद्य त्रिमूर्ति स्त्रीदशेश्वरी - 125
त्र्यक्षरी दिव्यगंधाद्य सिंदूर तिलकंचिता
उमा शैलेंद्र तनय गौरी गंधर्व सेविता - 126
विधवागर्भ स्वर्णनगर वरद वागधीश्वरी
ध्यानगम्यपरिचेद्य ज्ञानद ज्ञानविग्रह - 127
सर्ववेदांत सांवेद्य सत्यानंद स्वरूपिणी
लोपामुद्रार्चिता लिलाक्लुप्त ब्रम्हांड मंडल - 128
अद्रुष्यद्रुश्यरहिता विज्ञानत्री वेद्यवर्जित
योगिनी योगदा योग्य योगानदयुगगंधार - 129
ईचशक्ति ज्ञानशक्ति क्रियाशक्ति स्वरूपिणी
सर्वधारा सुप्रतिष्ठ सदासद्रुपधारिणी - 130
अष्टमूर्तिराजजैत्री लोकयात्रा विधायी
एककिनि भौमरूप निर्वैत द्वैतवर्जित - 131
अन्नद वसुधा वृद्ध ब्रम्हात्मैक्य स्वरूपिणी
बृहति ब्रम्हणी भ्रामहि ब्रम्हानंद बलिप्रिया - 132
भाषारूपा बृहत्सेन भवभव विवर्जित
सुखराध्या शुभकारी शोभना सुलभभागतिः - 133
राजराजिश्वरी राज्यदायिनी राज्यवल्लभ
राजा टीकेरूपा राजपिता निवेशितनिज श्रित - 134
राज्यलक्ष्मीः कोशनाधा चतुरंग बालेश्वरी
साम्राज्यदायिनी सत्यसंध सागरमेखला - 135
दीक्षिता दैत्यशमनि सर्वलोक वाशंकरी
सर्वधादात्री सावित्री सच्चिदानंद रूपिणी - 136
देशकल परिचिन्ना सर्वगा सर्वमोहिनी
सरस्वती शास्त्रमयी गुहानबा गुह्यरूपिणी - 137
सर्वोपधिविनीरमुक्ता सदाशिव पतिव्रत
संप्रदायेश्वरी साध्वी गुरुमंडला रूपिणी - 138
कुलोत्तिरना भगराध्या माया मधुमतिमहि
गणनबा गुह्यकारध्य कोमलांगी गुरुप्रिया - 139
स्वतंत्र सर्वतन्त्रेषि दक्षिणामूर्तिरूपिणी
सनकादि समाराध्य शिवज्ञान प्रदायिनी - 140
चितकला नंदकालिका प्रेमरूप प्रिणंकारी
नामपरायण प्रीता नंदीविदा नटेश्वरी - 141
मध्य जगदधिष्टन मुक्तिदा मुक्तिरूपिणी
लास्यप्रिया लयकारी सज्जा रणभादि वंदिता - 142
भवदव सुधावृष्ठिः पपरण्य दवानाल
दोर्भाग्य तुला वतुला जराधवंता रविप्रभा - 143
भाग्यभी चंद्रिका भक्त चित्तकेकी घनघ्न
रोगपर्वतदानभोली रमृत्युदरु कुतारिका - 144
महेश्वरी महाकाली महाग्रास हमशानी
अपर्णा चंडिका चंदमुंडासुर निशुदिनी - 145
क्षारक्ष्मिका सर्वलिकेशी विषधारिणी
त्रिवर्गदात्री सुभाग त्रयंबक त्रिगुणात्मिका - 146
स्वर्गपवर्गदा शुद्ध जपपुष्प निभाक्रुतिः
ओजोवती द्युतिधर यज्ञरूप प्रियव्रत - 147
दुरराध्या दुराधत्शा पातालि कुसुमाप्रिया
हमति मेरुणिलय मंदरा कुसुमाप्रिया - 148
विरारध्य विराद्रुपा विरजा विषतोमुखी
प्रत्यग्रुप प्रकाश प्राणद प्राणरूपिणी - 149
मार्तण्ड बैरवराध्य मंत्रिणी न्यास्ताराज्यधुः
त्रिपुरेषी जयत्सेन निस्त्रैगुण्य पारापरा - 150
सत्यज्ञानानंदरूपा समरस्य परायण
कपर्दिनी कलामल कामधुकमरुपिणी - 151
कलानिधिः काव्यकला रसज्ञन रसशेवधिः
पुष्तपुरातन पूज्य पुष्कर पुष्करेक्षण - 152
परंज्योतिः परन्धमः परमानुः परात्पर
पाशहस्ता पशहन्त्री परमन्त्र विभेदिनी - 153
मुर्त मुर्ता नित्यतृप्त मुनिमानस हंसिका
सत्यव्रत सत्यरूपा सर्वन्तर्यमिनी सती - 154
ब्रम्हानि ब्रम्हजननी बहुरूपा बुधर्चिता
प्रसावित्री प्रचंडज्ञ प्रतिष्ठा प्राकटकृति - 155
प्राणेश्वरी प्राणदात्री पंचशतप्रीतरूपिणी
विश्रुंखला विविधतस्धा विरामता वियतप्रसुः - 156
मुकुंद मुक्तिनिलय मूलविग्रहरूपिणी
भावज्ञ भावरोघ्घनि भावचक्र प्रवर्तिनी - 157
चंदासार शास्त्रसार मंत्रसार तलोदरी
उदरकीर्ति रुधमवैभव वर्णरूपिणी - 158
जन्ममृत्यु जरातप्त जनविशांति दायिनी
सर्वोपनिषदुद्घुष्ता शांत्यतिता कलात्मिका - 159
गणभिरा गगनंतःधा गर्विता गणलोलुपा
कल्पनारहिता कष्टकान्त कंतरध विग्रह - 160
कर्ताकरणनिर्मुक्ता कामकेलि तरंगिता
कनतकनकटकटंका लीलाविग्रहधारिणी - 161
अजक्षय विनिर्मुक्ता मुग्धा क्षिप्रसादिनी
अंतरमुख समाराध्य बहिर्मुख सुदुर्लभ - 162
त्रै त्रिवर्गनिलय त्रिस्धा त्रिपुरमालिनी
निरामय निरालंब स्वात्माराम सुधाश्रुतिः - 163
संसार पंकनिर्मग्न समुधरन संदिता
यज्ञ प्रिय यज्ञकर्त्री यजमान स्वरूपिणी - 164
धर्मधारा धनाध्यक्ष धनधन्य विवर्धिनी
विप्रप्रिया विप्ररूपा विश्वभ्रमणकारिणी - 165
विश्वग्रास विद्रुमाभ वैष्णवी विष्णुरुणि
अयोनिरोनिलय कुलस्धा कुलरूपिणी - 166
विरागोष्ठिप्रिय विर नैष्कर्म्य नादरूपिणी
विज्ञानकलाना कल्याणविद्ग्ध विहिंदवासन - 167
तत्वाधिका तत्वमैई तत्वमर्ध स्वरूपिणी
समागण प्रिया सौम्य सदाशिव कुटुंबिनी - 168
सव्यपसव्यमार्गस्धा सर्व पद्वी निवारिणी
स्वसधा स्वभावमधुरा धीर धीरसमर्चिता - 169
चैतन्यर्ध्य समाराध्य चैतन्य कुसुमप्रिया
सदोदिता सदातुष्ट तरुणादित्यपतला - 170
दक्षिणा दक्षिणाराध्या द्रासमेरा मुखनबुजा
काओलिनी केवल नरघ्य कैवल्यपददायिनी - 171
स्तोत्रप्रिय स्तुतिमति श्रुति संस्तुत वैभव
मनस्विनी मानववती महेषी मंगलाकृतिः - 172
विश्वमाता जगधात्री विशालाक्षी विरागिनी
प्रगल्भ परमोदरा परमोद मनोमे - 173
व्योमकेशी विमानसधा वज्रिनि वामकेश्वरी
पंचयज्ञ प्रिया पंचप्रेत मनचधीशैणी - 174
पंचमी पंचभूतेषी पंचसंख्योपचारिणी
शाश्वती शाश्वतैश्वर्य सरमदा शंभूमोहिनी - 175
धाराधरसुता धन्य धर्मिणी धर्मवर्दिनी
लोकातीत गुणातीत सर्वतिता शमात्मिका - 176
बंधुका कुसुम प्रख्या बालालिला विनोदिनी
सुमंगली सुखाकारी सुवेषाद्य सुवासिनी - 177
सुवासिनयार्चन प्रीता शोभन शुद्धमानस
बिंदुतर्पण संतोष पूर्वज त्रिपुराणबिका - 178
दशमुद्र समाराध्य त्रिपुरा श्रीवांशंकरी
ज्ञानमुद्रा ज्ञानगम्य ज्ञानज्ञेय स्वरूपिणी - 179
योनिमुद्रा त्रिखंडेषी त्रिगुणानबा त्रिकोणाग
अनाघभूत चरित्र वंचितर्धा प्रदायिनी - 180
अभ्यसतीशयज्ञानाता षडध्वतिता रूपिणी
अव्यजकरुणमूर्ति राग्यनाध्वंता दीपिका - 181
आबालगोपविदिता सर्वनुल्लंघ्याशासन
श्रीचक्रराजनिलय श्रीमात्रीपुरसुंदरी - 182
श्री शिव शिवशक्त्यैक्य रूपिणी ललितानबिका
यवं श्री ललिता देव्या ननाम सहस्रकं जगुः - 18
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