जिस सुख की चाहत में तू दर दर को भटकता है (Jis Sukh Ki Chahat Mein Tu Lyrics in Hindi) - Upasana Mehta Krishna Bhajan - Bhaktilok

Deepak Kumar Bind


जिस सुख की चाहत में तू दर दर को भटकता है (Jis Sukh Ki Chahat Mein Tu Lyrics in Hindi) - 


जिस सुख की चाहत में 

तू दर दर को भटकता है

वो श्याम के मंदिर में 

दिन रात बरसता है

जिस सुख की चाहत में 

तु दर दर को भटकता है.....||


अनमोल है हरपल 

तेरी जिंदगानी का

कब अंत हो जाए 

तेरी कहानी का

जिस पावन गंगाजल से 

जीवन ये सुधरता है

वो श्याम के मंदिर में 

दिन रात बरसता है

जिस सुख की चाहत में 

तु दर दर को भटकता है.....||


जैसे भरा पानी 

सागर में खारा है

वैसे भरा दुःख से 

जीवन हमारा है

जिस अमृत को पिने को 

संसार तरसता है

वो श्याम के मंदिर में 

दिन रात बरसता है

जिस सुख की चाहत में 

तु दर दर को भटकता है.....||


ना कर भरोसा तू 

‘सोनू’ दीवाने पर

तू देख ले जाकर 

इसके ठिकाने पर

वो सावन जो धरती की 

तक़दीर बदलता है

वो श्याम के मंदिर में 

दिन रात बरसता है

जिस सुख की चाहत में 

तु दर दर को भटकता है.....||







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