आरंभ है प्रचंड बोले मस्तको के झुंड लिरिक्स (Aarambh hai Prachand Lyrics in Hindi) -
आरंभ है प्रचंड बोले मस्तकों के झुंड
आज जंग की घड़ी की तुम गुहार दो
आरंभ है प्रचंड बोले मस्तकों के झुंड
आज जंग की घड़ी की तुम गुहार दो
आन बान शान या की जान का हो दान
आज एक धनुष के बन पे उतार दो
आरंभ है प्रचंड बोले मस्तकों के झुंड
आज जंग की घड़ी की तुम गुहार दो
आन बान शान या की जान का हो दान
आज एक धनुष के बन पे उतार दो
आरंभ है प्रचंड
मन करे सो प्राण दे
जो मन करे सो प्राण ले
वही तो एक सर्वशक्तिमान है
मन करे सो प्राण दे
जो मन करे सो प्राण ले
वही तो एक सर्वशक्तिमान है
कृष्णा की पुकार है
ये भागवत का सार है
की युद्ध ही वीर का प्रमाण है
कौरवों की भीड़ हो या
पांडवो का नीड हो
जो लड़ सका है
वोही तो महान है
जीत की हवास नहीं
किसी पे कोई वश नहीं
क्या जिंदगी है
ठोकरों पे मार दो
मौत अंत है नहीं तो मौत से भी क्यों डरें
ये जाके आसमान में दहाड़ दो
आरंभ है प्रचंड बोले मस्तकों के झुंड
आज जंग की घड़ी की तुम गुहार दो
आन बान शान या की जान का हो दान
आज एक धनुष के बन पे उतार दो
आरंभ है प्रचंड
हो दया का भाव या कि शौर्य का चुनाव
या की हार का वो ग़ब तुम ये सोच लो
हो दया का भाव या कि शौर्य का चुनाव
या की हार का वो ग़ब तुम ये सोच लो
हां की पूरे भाल पर जला रहे विजय का लाल
लाल ये गुलाल तुम ये सोच लो
रंग केसरी हो या मृदंग केसरी हो
या की केसरी हो ताल तुम ये सोच लो
जिस कवि की कल्पना में जिंदगी हो प्रेम गीत
उस कवि को आज तुम नकार दो
भीगती मेसन में आज फुल्टी रागों में आज
जो आग की लपेट का तुम बघार दो
आरंभ है प्रचंड बोले मस्तकों के झुंड
आज जंग की घड़ी की तुम गुहार दो
आन बान शान या की जान का हो दान
आज एक धनुष के बन पेउतर दो
आरंभ है प्रचंड
आरंभ है प्रचंड
आरंभ है प्रचंड
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