मां ब्रह्मचारिणी आरती ( Maa Brahmacharini Aarti Lyrics in HIndi ) - Katha Beej Mantra - Bhaktilok
माता ब्रह्मचारिणी की कथा -
देवी पार्वती भगवान शिव से विवाह करना चाहती थी | शिव को जीवन साथी के रूप में पाने के लिए उन्होंने कठिन तपस्या की | वह धुप, गर्मी, ठंड, बरसात मे खुले आसमान के नीचे प्रकृति की पीड़ा का सामना करती रही। ऐसी कठिन तपस्या की वह सैकड़ों वर्षों तक जमीन पर गिरे सूखे बिल्व पत्र पर निर्वाह करती रही |
इस दौरान, देवताओं ने कामदेव से संपर्क किया जो इच्छा, कामुक, प्रेम के देवता हैं। उन्होंने कामदेव को बताया, तारकासुर नामक एक राक्षस है जिसका वध करना बहुत ही आवश्यक है और ऐसा केवल भगवान शिव की संतान ही कर सकती है। इसलिए भगवान शिव का विवाह देवी पार्वती से कराना बेहद जरूरी है । कामदेव से भगवान शिव से पार्वती को पत्नी रूप मे स्वीकार करने के लिए मनाने को कहा।
देवताओ की बात मानकर कामदेव ने प्रेम का तीर चलाया, तब शिव जी के गुस्से से तीर जल गया । वही दूसरी ओर पार्वती ने सूखी पत्तियों को खाना भी छोड़ दिया और हजारो वर्षों तक वह बिना किसी भोजन और पानी के रही।
उनकी हजारो वर्षो की तपस्या से प्रसन्न होकर पार्वती की परीक्षा लेने भगवान शिव एक तपस्वी के रूप में उनसे मिले और उनसे तपस्या को रोकने के लिए कहा । परन्तु उन्होंने अपनी तपस्या जारी रखी। और शिव पार्वती के दृढ़ संकल्प को देखकर उन्हें स्वीकार करते हैं।
शिव आत्म का प्रतिनिधित्व करते है और दुर्गा मन है। शिव और दुर्गा का यह मिलन दर्शाता है दृढ़ संकल्प और आत्म-नियंत्रण से व्यक्ति आत्मा (शिव) को भी प्राप्त कर सकता है।
नवरात्रि के दूसरे दिन माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा (Maa Brahmacharini Beej Mantra) की जाती है| ताकि भक्त अपने मन, शरीर और इंद्रियों को वश मे रख सके। मां ब्रह्मचारिणी की कृपा से, भक्त जीवन की चुनौतियों से निराश हुए बिना जीवन में आगे बढ़ते है|
(Mata Brahmacharini) देवी ब्रह्मचारिणी भावनात्मक व मानसिक शक्ति प्रदान करती हैं जिससे आत्मविश्वास हमेशा बना रहता है| व्यक्ति नैतिकता और कर्तव्य पथ पर चलता है।
माँ ब्रह्मचारिणी की आरती को ऑफलाइन पढ़ने के लिए नीचे स्क्रॉल कर आप इसे Maa Brahmacharini Aarti in Hindi & English PDF Free डाउनलोड कर सकते है|
बीज मंत्र
ह्रीं श्री अम्बिकायै नम:|
Maa Brahmacharini Stuti Mantra -
|| स्तुति ||
या देवी सर्वभूतेषु माँ ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता ||
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम: ||
Maa Brahmacharini Dhyan Mantra -
|| ध्यान मंत्र ||
वन्दे वांछित लाभायचन्द्रार्घकृतशेखराम् ||
जपमालाकमण्डलु धराब्रह्मचारिणी शुभाम् ||
गौरवर्णा स्वाधिष्ठानस्थिता द्वितीय दुर्गा त्रिनेत्राम ||
धवल परिधाना ब्रह्मरूपा पुष्पालंकार भूषिताम् ||
परम वंदना पल्लवराधरां कांत कपोला पीन ||
पयोधराम् कमनीया लावणयं स्मेरमुखी निम्ननाभि नितम्बनीम् ||
माता ब्रह्मचारिणी की आरती हिंदी -
|| ॐ श्री गणेशाय नमः ||
जय अम्बे ब्रह्माचारिणी माता।
जय चतुरानन प्रिय सुख दाता।
ब्रहमा जी के मन भाती हो।
ज्ञान सभी को सिखलाती हो।
ब्रहमा मंत्र है जाप तुम्हारा।
जिसको जपे सकल संसारा।
जय गायत्री वेद की माता।
जो मन निस दिन तुम्हें ध्याता।
कमी कोई रहने न पाए।
कोई भी दुःख सहने न पाए।
उसकी विरति रहे ठिकाने।
जो तेरी महिमा को जाने।
रुद्राक्ष की माला ले कर।
जपे जो मंत्र श्रद्धा दे कर।
आलस छोड़ करे गुणगाना।
मां तुम उसको सुख पहुंचाना।
ब्रह्माचारिणी तेरो नाम।
पूर्ण करो सब मेरे काम।
भक्त तेरे चरणों का पुजारी।
रखना लाज मेरी महतारी।
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