महाकालेश्वर भस्म आरती ( Mahakaleshwar Bhasma Aarti Lyrics in Hindi ) -
भगवान शिव अपने शरीर पर भस्म धारण करते हैं। यह भस्म कई प्रकार से बनती है लेकिन कहते हैं कि खासकर मुर्दे की भस्म ही महाकाल में चढ़ाई जाती है। हालांकि वर्तमान में मुर्दे की भस्म का उपयोग नहीं होता है। आओ जानते हैं शिव की भस्म और भस्मारती के रहस्य।
शिवपुराण की कथा है कि भगवान शिव ने देवी सती के देह त्याग के बाद अपनी सुध-बुध खो दी थी। देवी सती के शव को लेकर भगवान शिव तांडव मचाने लगे। भगवान विष्णु ने शिव का मोहभंग करने के लिए चक्र से सती के शव के टुकड़े कर दिए। सती के वियोग में शिव औघड़ और दिगम्बर रूप धारण कर श्मशान में बैठ गए और पूरे शरीर पर चिता की भस्म लगा लिया।कहते हैं कि तब से भस्म भी शिव का श्रृंगार बन गया।
महाकाल की 6 बार आरती होती हैं जिसमें सबसे खास मानी जाती है भस्म आरती। भस्म आरती यहां भोर में 4 बजे होती है। कालों के काल महाकाल के यहां प्रतिदिन अलसुबह भस्म आरती होती है। इस आरती की खासियत यह है कि इसमें ताजा मुर्दे की भस्म से भगवान महाकाल का श्रृंगार किया जाता है। इस आरती में शामिल होने के लिए पहले से बुकिंग की जाती है।
सबसे पहले भस्म आरती फिर दूसरी आरती में भगवान शिव घटा टोप स्वरूप दिया जाता है। तीसरी आरती में शिवलिंग को हनुमान जी का रूप दिया जाता है। चौथी आरती में भगवान शिव का शेषनाग अवतार देखने को मिलता है। पांचवी में शिव भगवान को दुल्हे का रूप दिया जाता है और छठी आरती शयन आरती होती है। इसमें शिव खुद के स्वरूप में होते हैं।
इस आरती में महिलाओं के लिए साड़ी पहनना जरूरी है। जिस वक्त शिवलिंग पर भस्म चढ़ती है उस वक्त महिलाओं को घूंघट करने को कहा जाता है। मान्यता है कि उस वक्त भगवान शिव निराकार स्वरूप में होते हैं और इस रूप के दर्शन महिलाएं नहीं कर सकती। पुरुषों को भी इस आरती को देखने के लिए केवल धोती पहननी होती है। वह भी साफ-स्वच्छ और सूती होनी चाहिए। पुरुष इस आरती को केवल देख सकते हैं और करने का अधिकार केवल यहां के पुजारियों को होता है।
प्राचीन मान्यताओं के अनुसार दूषण नाम के एक राक्षस की वजह से अवंतिका में आतंक था। नगरवासियों के प्रार्थना पर भगवान शिव ने उसको भस्म कर दिया और उसकी राख से ही अपना श्रृंगार किया। तत्पश्चात गाव वालों के आग्रह पर शिवजी वहीं महाकाल के रूप में बस गए। इसी वजह से इस मंदिर का नाम महाकालेश्वर रख दिया गया और शिवलिंग की भस्म से आरती की जाने लगी।
ऐसा भी कहते हैं कि यहां श्मशान में जलने वाली सुबह की पहली चिता से भगवान शिव का श्रृंगार किया जाता है। इस भस्म के लिए पहले से लोग मंदिर में रजिस्ट्रेशन कराते हैं और मृत्यु के बाद उनकी भस्म से भगवान शिव का श्रृंगार किया जाता है।
शिव के शरीर पर लिपटी हुई भस्म के धार्मिक दृष्टिकोण के अलावा यदि इसका दार्शनिक पहलू देखा जाए तो वो ये है कि जिस शरीर के लिए मनुष्य इतना घमंड करता हैजिसकी सुविधा और सुरक्षा में दिन-रात एक करता है वह शरीर भी एक दिन इसी इस भस्म के समान जलकर राख हो जाएगा।शरीर क्षणभंगुर है और आत्मा अनंत। इसलिए शिव भस्म के माध्यम से संदेश देते हैं कि आखिर समय सब कुछ भस्म की भांति राख हो जाना है।
काल की विक्राल की महाकालेश्वर भस्म आरती (Kaal Ki Vikral Ki) - Shiv Bhajan Anuradha Paudwal Bhasm Aarti ujjain - Bhaktilok
Shiv Bhajan: काल की विक्राल की महाकालेश्वर भस्म आरती लिरिक्स (Kaal Ki Vikral Ki Lyrics in Hindi)Album Name: Bhasma AartiShri Mahakal Jyotirling Temple UjjainSinger: Anuradha PaudwalMusic Director: Shekhar SenLyricist: Ashish ChandraMusic On: T-Series
If you liked this post please do not forget to leave a comment. Thanks