प्रार्थना : हमारी मुट्ठी में आकाश सारा लिरिक्स (Hamari Muthhi Me Aakash Saara Lyrics in Hindi) - Prayer - Bhaktilok
हमारी ही मुद्ठी में आकाश सारा
जब भी खुलेगी चमकेगा तारा।
कभी न ढले जो वो ही सितारा
दिशा जिससे पहचाने संसार सारा ।
हथेली पे रेखाएँ हैं सब अधूरी
किसने लिखी हैं नहीं जानना है।
सुलझाने उनको ना आएगा कोई समझना है
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उनको ये अपना करम है ।
अपने करम से दिखाना है सबको
खुदका पनपना उभरना है खुदको।
अँधेरा मिटाए जो नन्हा शरारा
दिशा जिससे पहचाने संसार सारा
हमारे पीछे कोई आए ना आए !
हमें ही तो पहले पहुँचना वहाँ है।
जिन पर है चलना नई पीढ़ियों को
उन्हीं रास्तों को बनाना हमें है।
जो भी साथ आएँ उन्हें साध ले लें
अगर ना कोई साध दे तो अकेले।
सुलगा के खुद को मिटा ले अँधेरा
दिशा जिससे पहचाने संसार सारा।
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