( जनम तेरो धोखे में खोय दियो लिरिक्स ) -
दोहा
जब मैं था तब हरि नहीं अब हरि हैं मैं नाँहिं।
सब अँधियारा मिटि गया जब दीपक देख्या माँहि॥
जनम तेरो
धोखे में खोय दियो
जनम तेरो
बातों में खोय दियो
धोखे में खोय दियो
धोखे में खोय दियो
जनम तेरो
बातों में खोय दियो
जनम तेरो
धोखे में खोय दियो।
दो दस बरस
बालपन बीता
बीस जवान भयो
तीस बरस
माया के फेरे
देस बिदेस गयो
जनम सब
धोखे में बीत गयो
जनम तेरो
धोखे में खोय दियो।
चालीस बरस
अंत जब लागे
बाढो मोय नयो
धन अरु धाम
पुत्र के कारण
निस दिन सोच भयो
जनम तेरो
धोखे में खोय दियो।
जनम
धोखे में खोय दियो।
बरस पचास
कमर भई टेढ़ी
सोचत खाट पड्यो
लड़का बहुरी
बोली बोलें
बूढा मर ना गयो
जनम तेरो
धोखे में खोय दियो।
जनम
धोखे में खोय दियो।
बरस साठ
सत्तर के भीतर
केश सफ़ेद भयो
कफ्फ पित्त वात
घेर तुझे लीन्हा
नयन नीर भयो
जनम तेरो
धोखे में खोय दियो।
जनम
धोखे में खोय दियो।
ना गुरु भक्ति
ना साधू की सेवा
ना सुभ करम कियो
कहत कबीर
सुनों भाई साधो
चोला छोड़ गयो
धोखे में खोय दियो।
जनम सब
धोखे में खोय दियो।
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