धुप जले दीप जले और जगे ज्योति (Dhoop Jale Deep Jale Lyrics in Hindi) - BhaktiLok

Deepak Kumar Bind


धुप जले दीप जले और जगे ज्योति (Dhoop Jale Deep Jale Lyrics in Hindi) 

धुप जले, दीप जले
और जगे ज्योति
तुम छाँव हो, मैं तारा हूँ
तुम नदी हो, मैं सागर हूँ
तुम मूरत हो, मैं चित्र हूँ
तुम मैं हो, मैं तुम हो

रातें जगाए
रातें जगाए, रातों से कह दूं
मैं दिल की सदाएँ, बुझा दूं

बुझ ना पाए, रातों का इस खेल को
बुझा दूं

धुप जले, दीप जले
और जगे ज्योति
तुम छाँव हो, मैं तारा हूँ
तुम नदी हो, मैं सागर हूँ
तुम मूरत हो, मैं चित्र हूँ
तुम मैं हो, मैं तुम हो

मेरी रातें जगाने के लिए
तू रोशनी दे
मैं आंधियों में फिर भी बिठा हूँ
तू सहमी हुई राहों में
रोशनी दे

धुप जले, दीप जले
और जगे ज्योति
तुम छाँव हो, मैं तारा हूँ
तुम नदी हो, मैं सागर हूँ
तुम मूरत हो, मैं चित्र हूँ
तुम मैं हो, मैं तुम हो

धुप जले, दीप जले
और जगे ज्योति
तुम छाँव हो, मैं तारा हूँ
तुम नदी हो, मैं सागर हूँ
तुम मूरत हो, मैं चित्र हूँ
तुम मैं हो, मैं तुम हो !!

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