आता रहता हूँ मैं दर तुम्हारे मगर भजन इन हिंदी लिरिक्स

Deepak Kumar Bind

आता रहता हूँ मैं दर तुम्हारे मगर भजन इन हिंदी लिरिक्स



आता रहता हूँ मैं दर तुम्हारे मगर

कभी तुम भी मेरे घर आया करो

सुनते हो सांरे सबके दिल की सदा

कभी अपने भी दिल की सुनाया करो

आता रहता हूँ मैं 


सबपे करते हो तुम मेहरबानियां

ग़म के मारों की सुनकर कहानियां

देते हो इस कदर प्यार सबको मगर

क्या ये कहता ये नहीं दिल तुम्हारा कभी

कभी मेरी भी सुनंने को आया करो

आता रहता हूँ मैं 


हर एक डूबे को पल में उबारते

सबका सोया मुकद्दर संवारते

डाल कर तुम नज़र करते ऐसा असर

हो मिटाते सदा सबके दुःख दर्द तुम

पर ना यूँ दर्द अपना छुपाया करो

आता रहता हूँ मैं 


है ये विनती मेरी तुमसे सांवरे

रखना सर पे सदा अपनी छाँव रे

है दीवाना मेरा दिल तेरा सांवरे

तुम हो मेरे अगर है कसम ये तुम्हे

राज़ हमको भी अपना सुनाया करो

आता रहता हूँ मैं !!


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