मैया मोरी मैं नहिं माखन खायो (maiya moree main nahin maakhan khaayo lyrics in hindi) - Bhaktilok

Deepak Kumar Bind

 

मैया मोरी मैं नहिं माखन खायो 


मैया मोरी मैं नहिं माखन खायो |

भोर भयो गैयन के पाछे, 

मधुवन मोहिं पठायो ।

चार पहर बंसीबट भटक्यो, 

साँझ परे घर आयो ॥


मैं बालक बहिंयन को छोटो, 

छींको किहि बिधि पायो ।

ग्वाल बाल सब बैर परे हैं, 

बरबस मुख लपटायो ॥


तू जननी मन की अति भोरी, 

इनके कहे पतिआयो ।

जिय तेरे कछु भेद उपजि है, 

जानि परायो जायो ॥


यह लै अपनी लकुटि कमरिया, 

बहुतहिं नाच नचायो ।

'सूरदास' तब बिहँसि जसोदा, 

लै उर कंठ लगायो ॥


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