कुंभ मेला में गंगा की शीतल धारा (kumbh mele mein ganga kee sheetal dhaara lyrics in hindi)
कुंभ मेला में गंगा की शीतल धारा,
पावन जल में बहती है, हरि की ज्योति न्यारा।
(1)
पाप हरने को आई गंगा,
धरती पर वरदान है।
हर हर गंगे की ध्वनि से,
पावन बनता जहान है।
कुंभ मेला में गंगा की शीतल धारा,
पावन जल में बहती है, हरि की ज्योति न्यारा।
(2)
संत-महात्मा गंगा तट पर,
ध्यान लगाते हैं।
हरि नाम का जप करते,
मन को शांत कर जाते हैं।
कुंभ मेला में गंगा की शीतल धारा,
पावन जल में बहती है, हरि की ज्योति न्यारा।
(3)
डुबकी लगाते भक्त सभी,
पाप हरते हैं।
गंगा मां की शरण में,
जीवन को धन्य करते हैं।
कुंभ मेला में गंगा की शीतल धारा,
पावन जल में बहती है, हरि की ज्योति न्यारा।
(4)
धर्म की गंगा बहती रहे,
युग-युग तक अमर रहे।
हरि के चरणों में सब झुके,
मंगलमय सबका सफर रहे।
कुंभ मेला में गंगा की शीतल धारा,
पावन जल में बहती है, हरि की ज्योति न्यारा।
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