जयति जगद्गुरु गुरुवर की गावो मिलि आरती रसिकवर की लिरिक्स || Jayati jagadguru guruvar kee gaavo mili aaratee rasikavar kee lyrics in hindi
जयति जगद्गुरु गुरुवर की,
गावो मिलि आरती रसिकवर की।
गुरुपद-नख-मणि-चन्द्रिका प्रकाश,
जाके उर बसे ताके मोह तम नाश।
जाके माथ नाथ तव हाथ कर वास,
ताते होय माया मोह सब ही निरास।
पावे गति मति रति राधावर की,
गावो मिलि आरती रसिकवर की॥
अरे मन मूढ़! छाँडु नारी नर हाथ,
गुरु बिनु ब्रह्मा श्यामहूँ न देंगे साथ।
कोमल कृपालु बड़े कृपासिंधु नाथ,
पाके इन्हे आज तू अनाथ हो सनाथ।
इन्हीं के आधीन कृपा गिरिधर की,
गावो मिलि आरती रसिकवर की॥
भक्तियोग-रस-अवतार अभिराम,
करें निगमागम समन्वय ललाम।
श्यामा-शयाम नाम, रूप, लीला, गुण, धाम,
बांटि रहे प्रेम निष्काम बिनु दाम।
हो रही सफल काया नारी नर की,
गावो मिलि आरती रसिकवर की॥
लली लाल लीला का सलोना सुविलास,
छाया दिव्य दृष्टि बिच प्रेम का प्रकाश।
वैसा ही विनोद वही मंजू मृदु हास,
करें बस बरबस उच्च अटटहास।
झूमि चलें चाल वही नटवर की !!
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