शंकर का डमरू बाजे रे कैलाशपति शिव नाचे रे लिरिक्स - Bhaktilok

Deepak Kumar Bind

 

शंकर का डमरू बाजे रे कैलाशपति शिव नाचे रे लिरिक्स


शंकर का डमरू बाजे रे।

कैलाशपति शिव नाचे रे॥


जटाजूट में नाचे गंगा ।

शिव मस्तक पर नाथे चंदा॥

नाचे वासुकी नीलकंठ पर,

नागेश्वर गल साजे रे,

शंकर का डमरू बाजे रे...||


सीस मुकुट सोहे अति सुंदर।

नाच रहे कानन में कुंडल॥

कंगन नूपुर चर्म-ओढ़नी,

भस्म दिगम्बर राजे रे॥

शंकर का डमरू बाजे रे...||


कर त्रिशूल कमंडल साजे।

धनुष-बाण कंधे पै नाचे॥

बजे 'मधुप' मृदंग ढोल डफ,

शंख नगारा बाजे रे॥

शंकर का डमरू बाजे रे...||


तीनलौक डमरू जब बाजे।

म डम,डम डम,की ध्यनि गाजे॥

ब्रह्म नाचे, विष्णु नाचे,

अनहद का स्वर गाजे रे॥

शंकर का डमरू बाजे रे...||


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