आणो पड़सी सेठ सावरां भगता की अरदास है लिरिक्स - Bhaktilok

Deepak Kumar Bind

 

आणो पड़सी सेठ सावरां भगता की अरदास है लिरिक्स 


आणो पड़सी सेठ सावरां,भक़्ता की अरदास है

अर्जी सुणकर आवगो तु , सगलां नै विश़्वास है


जब जब कोई काम पड़ ह , टाबर तेरा याद करै ।

म्हारे घर को मालिक ह तु ,थासूं ही फरियाद करै ।

और ना कोई म्हान सूझै, बस एक थारी आश है

आणो पड़सी सेठ सावरां, भक़्ता की अरदास है


देर घणी मत करिये बाबा, धीरज छूटयो जावं ह ।

बेगो बेगो अब तो आजा, मन म्हारो घबराव ह ।

दुनिया की तो जाणूं कोनी, तू तो म्हारो खास है

आणो पड़सी सेठ सावरां, भक़्ता की अरदास है


एक थारै आने से बाबा सगलां सकंट कट जासी ।

अटकी नैया चाल पडे़गी, सौदो म्हारो पट जासी ।

म्हारै तो सुख दुंखं की दवाई, बाबा थारै पास है

आणो पड़सी सेठ सावरां, भक़्ता की अरदास है ||


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