|| श्री कृष्ण जी के मंत्र (Shri Krishna Mantra In Hindi) ||
श्री कृष्ण मंत्रों में कई प्रकार के मंत्र होते हैं,
जिनका जाप किया जा सकता है। यहां कुछ प्रमुख मंत्र हैं:-
ॐ कृष्णाय नमः
(Om Krishnaya Namah)
"ॐ कृष्णाय नमः" (Om Krishnaya Namah) मंत्र भगवान कृष्ण को समर्पित है। इस मंत्र का अर्थ है 'मैं भगवान कृष्ण को नमस्कार करता हूँ'। यह मंत्र कृष्ण भक्ति और उनके आदर्शों की स्मृति के लिए उपयोग किया जाता है। इसका जाप करने से भक्ति में आनंद और शांति मिलती है, और भगवान कृष्ण की कृपा प्राप्त होती है। यह मंत्र भक्ति और साधना के लिए उपयुक्त है।
ॐ नमो भगवते वासुदेवाय
(Om Namo Bhagavate Vasudevaya)
यह एक प्रसिद्ध और पवित्र मंत्र है, जिसे भगवान वासुदेव की पूजा और स्मरण के लिए उपयोग किया जाता है। इस मंत्र का जाप करने से भगवान की कृपा प्राप्त होती है और व्यक्ति भक्ति और शांति की स्थिति में पहुँचता है। यह मंत्र भगवान वासुदेव की प्रार्थना और स्तुति के रूप में प्रयोग किया जाता है। जब आप इस मंत्र को जाप करते हैं, तो अपने मन को शुद्ध करें और भगवान के प्रति आदर और भक्ति के साथ इसका पाठ करें।
हरे कृष्ण, हरे कृष्ण, कृष्ण कृष्ण, हरे हरे।
हरे राम, हरे राम, राम राम, हरे हरे।
(Hare Krishna, Hare Krishna, Krishna Krishna,
Hare Hare. Hare Rama, Hare Rama, Rama Rama, Hare Hare.)
यह मंत्र, जिसे हरे कृष्ण मंत्र भी कहा जाता है, एक प्रमुख वैष्णव मंत्र है और कृष्ण भक्ति का महत्त्वपूर्ण अंग है। इस मंत्र में 'हरे' नाम को कृष्ण और राम के नामों के साथ दोहराया जाता है। इसका जाप करने से चित्त शुद्धि होती है, मन की शांति मिलती है और भगवान के प्रति भक्ति में वृद्धि होती है। यह मंत्र ध्यान, भक्ति और साधना के लिए उत्तम है, जिससे आत्मिक उन्नति होती है।
ॐ कृष्णाय नमः
(Om Krishnaya Namah)
"ॐ कृष्णाय नमः" (Om Krishnaya Namah) मंत्र भगवान कृष्ण की पूजा और स्तुति के लिए उपयोग किया जाता है। इस मंत्र का जाप करने से भगवान कृष्ण की कृपा प्राप्त होती है और व्यक्ति की आत्मिक उन्नति होती है। यह मंत्र भगवान कृष्ण के प्रति श्रद्धा और समर्पण का एक अद्भुत व्यक्ति और उनके आदर्शों के प्रति समर्पण का व्यक्ति के मन में उत्साह उत्पन्न करता है।
ॐ श्री कृष्णः शरणं ममः
(Om Sri Krishnah sharanam mamah)
"ॐ श्री कृष्णः शरणं ममः" (Om Sri Krishnah sharanam mamah) एक प्रसिद्ध संगीत की शैली में कृष्ण भक्ति का एक प्रसिद्ध मंत्र है। इस मंत्र का अर्थ है "भगवान कृष्ण मेरी शरण हैं।" यह मंत्र कृष्ण भक्ति और समर्पण का अभिव्यक्ति है, और भगवान के प्रति आत्मीय संबंध को प्रकट करता है। इसका जाप करने से व्यक्ति का मन शांति प्राप्त होती है और उसे भगवान के प्रति आत्मसमर्पण का अनुभव होता है। यह मंत्र ध्यान और भक्ति में उत्तम है।
ॐ देव्किनन्दनाय विधमहे
वासुदेवाय धीमहि तन्नो कृष्ण:प्रचोदयात
(Aum Devkinandanaye Vidmahe
Vasudevaye Dhi-Mahi Tanno Krishna Prachodayat)
"ॐ देवकीनंदनाय विद्महे वासुदेवाय धीमहि तन्नो कृष्णः प्रचोदयात" (Aum Devkinandanaye VidmaheVasudevaye Dhi-Mahi Tanno Krishna Prachodayat) यह मंत्र भगवान कृष्ण की स्तुति के लिए उपयोग किया जाता है। इस मंत्र का अर्थ है "हम देवकी पुत्र, वासुदेव को जानते हैं, हम उसे ध्यान में लाते हैं, हमें उसकी प्रार्थना करें।" यह मंत्र भगवान कृष्ण की कृपा और आशीर्वाद के लिए प्रार्थना करता है और उसके आत्मा को प्रेरित करता है। इसका जाप करने से व्यक्ति का मन शांत होता है और उसे भगवान के प्रति आत्मसमर्पण का अनुभव होता है। यह मंत्र ध्यान, भक्ति, और साधना के लिए उत्तम है।
"ॐ नमो भगवते तस्मै कृष्णाया कुण्ठमेधसे।
सर्वव्याधि विनाशाय प्रभो माममृतं कृधि।"
यह मंत्र भगवान कृष्ण की पूजा और स्तुति के लिए उपयोग किया जाता है। इस मंत्र के द्वारा भक्त भगवान कृष्ण को अपने शरण में आत्मसमर्पित करते हैं और उनसे अमृत (अनंत सुख और आनंद) की प्राप्ति की प्रार्थना करते हैं। इस मंत्र के जाप से सभी व्याधियों का नाश होता है और व्यक्ति को शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ बनाने में सहायता मिलती है। यह मंत्र भक्ति और समर्पण के लिए उत्तम है।
ऊं श्रीं नमः श्रीकृष्णाय परिपूर्णतमाय स्वाहा
(Om Shri Namah Shrikrishnay Paripurntamay Swaha)
"ॐ श्रीं नमः श्रीकृष्णाय परिपूर्णतमाय स्वाहा" यह मंत्र भगवान कृष्ण की पूजा और स्तुति के लिए उपयोग किया जाता है। इस मंत्र के द्वारा भक्त भगवान कृष्ण की परिपूर्णता की प्राप्ति के लिए प्रार्थना करते हैं। "ऊं" एक शक्तिशाली ब्रह्मांडीय ध्वनि को प्रतिनिधित्त करता है, "श्रीं" लक्ष्मी की शक्ति को प्रतिनिधित करता है, "नमः" आदर का अभिवादन करता है, "श्रीकृष्णाय" भगवान कृष्ण की स्मरण करता है, "परिपूर्णतमाय" उनकी पूर्णता को स्वीकार करता है, "स्वाहा" प्रार्थना की घोषणा करता है। इस मंत्र के जाप से व्यक्ति भगवान कृष्ण की कृपा प्राप्त करता है और अपने जीवन में सुख, शांति, और समृद्धि की प्राप्ति के लिए प्रार्थना करता है।
इन मंत्रों का जाप करने से भगवान कृष्ण की कृपा प्राप्त होती है और चित्त शुद्धि होती है। यह आत्मा को आनंद, शांति और प्रेम की अनुभूति की दिशा में ले जाता है।
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