महा मृत्युंजय मंत्र लिरिक्स (Maha Mrityunjaya Mantra in Hindi) - भक्तिलोक

Deepak Kumar Bind

 

महा मृत्युंजय मंत्र लिरिक्स (Maha Mrityunjaya Mantra in Hindi) - 

महा मृत्युंजय मंत्र (Maha Mrityunjaya Mantra) एक प्रमुख वेदिक मंत्र है जो भगवान शिव को समर्पित है और मृत्युंजय रूप में उनकी कृपा और आशीर्वाद के लिए जाप किया जाता है। इस मंत्र का विशेष रूप से रूपांतरित रूप है:

ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्।

इस मंत्र का अर्थ है: "हम उस त्र्यम्बक (तीन आँखों वाले, भगवान शिव) को यजन करते हैं, जिसका सुगंधि से युक्त चरण है और जो सभी प्राणियों को पुष्टि और वृद्धि प्रदान करते हैं। हम उस वृक्ष की भाँति बन्धनों से मुक्त होना चाहते हैं, जैसे कि किसी फल का पक्षी बन्धन से मुक्त हो जाता है, और हमें मृत्यु से मुक्ति प्राप्त होना चाहिए और हमें अमृत प्राप्त होना चाहिए।"

यह मंत्र जीवन के अधिकांश पहलुओं में समृद्धि और कल्याण की प्राप्ति के लिए जाना जाता है, और यह साधक को मृत्यु से मुक्ति की प्राप्ति में सहायक हो सकता है।

महा मृत्युंजय मंत्र लिरिक्स (Maha Mrityunjaya Mantra in Hindi) - भक्तिलोक


"महा मृत्युंजय मंत्र का महत्व" (Significance of Maha Mrityunjaya Mantra) :-

महा मृत्युंजय मंत्र, जिसे अन्य नामों से "त्रयम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्" मंत्र भी कहा जाता है, एक प्राचीन संस्कृत मंत्र है जो भगवान शिव को समर्पित है। इस मंत्र का महत्व अत्यधिक है और इसे विभिन्न आध्यात्मिक और चिकित्सकीय लाभ के लिए जाना जाता है।

यहां महा मृत्युंजय मंत्र के महत्व की कुछ मुख्य बातें हैं:

  1. मृत्युंजय रोगनाशक (Disease Healer): इस मंत्र का जाप करने से व्यक्ति को रोगों से मुक्ति मिलने की आशा होती है। यह शारीरिक, मानसिक, और आध्यात्मिक स्वास्थ्य को सुरक्षित रखने में मदद करता है।

  2. मृत्युंजय शक्ति (Death Conquering Power): महा मृत्युंजय मंत्र का जाप करने से भक्त मृत्यु के भय से मुक्त होकर अमरता की प्राप्ति की आशा करता है। यह मृत्यु के खिलाफ एक प्रकार की रक्षा प्रदान करता है।

  3. चिकित्सात्मक लाभ (Healing Benefits): इस मंत्र का जाप चिकित्सा में भी प्रयुक्त होता है। यह बीमारियों के उपचार में सहारा प्रदान करता है और रोगी को शीघ्र स्वस्थ होने में मदद करता है।

  4. मानसिक शांति (Mental Peace): महा मृत्युंजय मंत्र का जाप मानसिक शांति और ध्यान को बढ़ावा देता है। यह मन को स्थिर रखकर अच्छे विचारों की प्रोत्साहना करता है।

  5. परिवार और समाज में सुख और शांति (Family and Social Harmony): इस मंत्र का नियमित जाप करने से परिवार और समाज में सुख-शांति बनी रहती है।

  6. ध्यान और साधना में सहायक (Aid in Meditation and Spiritual Practices): यह मंत्र ध्यान और आध्यात्मिक साधना में एक शक्तिशाली साधना के रूप में भी जाना जाता है। इसका जाप ध्यान को उत्कृष्टता की दिशा में बढ़ावा देता है।

सामान्यत: लोग महा मृत्युंजय मंत्र का जाप संघटित रूप से करते हैं और इसे अपने दिनचर्या में शामिल करते हैं ताकि उन्हें सुख, समृद्धि, और स्वास्थ्य में सुरक्षा मिले।

"महा मृत्युंजय मंत्र का पाठ विधि" (Procedure for Chanting Maha Mrityunjaya Mantra):-

महा मृत्युंजय मंत्र का पाठ एक श्रद्धापूर्वक और ध्यानपूर्वक प्रदान किया जाना चाहिए। यहां महा मृत्युंजय मंत्र का पाठ करने की सामान्य विधि दी गई है:

स्थान चयन:

  1. एक शांत, पवित्र और तंतुमुक्त स्थान का चयन करें जो आपको मनोयोगी बनाए रख सकता है।
  2. एक स्थिर आसन पर बैठें, जैसे कि पूजा आसन या योग आसन।

ध्यान और शुद्धि:

  1. अपनी दिशा को उत्तर या पूर्व में रखें।
  2. ध्यान केंद्रित करने के लिए अपने मन को स्थिर करें और शांति प्राप्त करें।
  3. अपने मस्तिष्क में शुद्धि के लिए कुछ देरे के लिए बैठें।

मंत्र का पाठ:

  1. हाथ जोड़कर आंजलिक मुद्रा बनाएं और महा मृत्युंजय मंत्र का पाठ शुरू करें:
    ॐ त्रयम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्
    उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्।
  2. मंत्र को ध्यान से, बिना गलतियों के, ध्यानपूर्वक बोलें।
  3. मंत्र का जाप करते समय अपने मन को शिव भगवान की ओर ध्यानित करें और उनसे शक्ति और सुरक्षा की प्रार्थना करें।

माला का उपयोग:

  1. महा मृत्युंजय मंत्र का जाप करते समय माला का उपयोग करें।
  2. जीप या माला में 108 मंत्रों का जाप करें।

ध्यान और अंतिम प्रार्थना:

  1. मंत्र के जाप के बाद, अनुभव करें कि आपने अपने मन को शुद्ध किया है और आपकी आत्मा शांति में है।
  2. अंत में, भगवान शिव से अपनी रक्षा के लिए प्रार्थना करें और उनकी कृपा की मांग करें।

महा मृत्युंजय मंत्र का नियमित रूप से जाप करने से व्यक्ति को मानसिक और आध्यात्मिक शक्ति मिलती है, जिससे उसका जीवन सुखमय और समृद्धिशील होता है।

"महा मृत्युंजय मंत्र के फायदे" (Benefits of Maha Mrityunjaya Mantra):-

महा मृत्युंजय मंत्र का जाप करने से विभिन्न तरह के शारीरिक, मानसिक, और आध्यात्मिक फायदे हो सकते हैं। यहां कुछ मुख्य फायदे हैं:

  1. रोगनाशक (Disease Healer): महा मृत्युंजय मंत्र का जाप करने से रोगों का नाश हो सकता है और व्यक्ति को आरोग्य, ऊर्जा, और स्थैतिकता मिल सकती है।

  2. मृत्यु से मुक्ति (Freedom from Death): मंत्र का जाप करने से भक्त को मृत्यु से मुक्ति मिलने की आशा होती है और उसे अमरता की प्राप्ति हो सकती है।

  3. मानसिक शांति (Mental Peace): महा मृत्युंजय मंत्र का जाप करने से मानसिक चिंता और अशांति कम होती है और मन प्रशांति में रहता है।

  4. आध्यात्मिक विकास (Spiritual Growth): यह मंत्र आध्यात्मिक साधना में मदद करता है और भक्त को अपने आत्मा के साथ संबंध स्थापित करने में मदद करता है।

  5. चिकित्सात्मक लाभ (Healing Benefits): महा मृत्युंजय मंत्र का जाप चिकित्सा में भी प्रयुक्त होता है और रोगों के उपचार में सहारा प्रदान करता है।

  6. सुरक्षा की प्राप्ति (Protection): यह मंत्र भक्त को अनौपचारिक रूप से शिव भगवान की कृपा और सुरक्षा प्रदान कर सकता है।

  7. कर्मफल की सुरक्षा (Protection from the Consequences of Actions): भक्त को अपने कर्मों के फल से मुक्ति मिल सकती है और वह शुभ कर्मों की दिशा में बढ़ सकता है।

  8. परिवार और समाज में सुख और शांति (Family and Social Harmony): महा मृत्युंजय मंत्र का जाप करने से परिवार और समाज में सुख-शांति बनी रह सकती है।

  9. ध्यान और आत्मा संबंध (Meditation and Soul Connection): यह मंत्र ध्यान के लिए अत्यंत प्रेरणा प्रदान करता है और भक्त को आत्मा से जोड़ने में मदद करता है।

महा मृत्युंजय मंत्र के फायदे अनगिनत हैं और इसे नियमित रूप से जाप करके व्यक्ति अपने जीवन को सुखमय, समृद्धिशील और आनंदमय बना सकता है।

"महा मृत्युंजय मंत्र का समर्थन" (Supporting Scriptures for Maha Mrityunjaya Mantra):-

महा मृत्युंजय मंत्र का विस्तार से समर्थन वेदों, शास्त्रों, और पुराणों में मिलता है। यह मंत्र विशेषकर ऋग्वेद से उत्पन्न है और इसे शिव पुराण, यजुर्वेद, और अन्य आध्यात्मिक ग्रंथों में भी प्रमाणित किया गया है।

  1. ऋग्वेद: महा मृत्युंजय मंत्र ऋग्वेद के सामवेदीय संहिता (RV 7.59.12) से लिया गया है। इसमें शिव भगवान की प्रशंसा की गई है और मृत्युंजय स्वरूप का स्तुति है।

  2. शिव पुराण: महा मृत्युंजय मंत्र का उल्लेख शिव पुराण में भी है, जहां इसे भगवान शिव की अत्यंत प्रिय मन्त्र माना गया है।

  3. यजुर्वेद: महा मृत्युंजय मंत्र का विस्तार से वर्णन यजुर्वेद के तैत्तिरीय संहिता (TS 1.8.6.i) में भी मिलता है।

  4. महाभारत: महाभारत के वनपर्व (विराटपर्व) में भी महा मृत्युंजय मंत्र का उल्लेख है, जहां युधिष्ठिर अर्जुन से इस मंत्र का उपदेश प्राप्त करते हैं।

  5. शारदा तिलकः (Sharada Tilak): शारदा तिलकः, जिन्होंने वेदों का अद्भुत संग्रह "सर्वार्थसिद्धि" को रचा, ने महा मृत्युंजय मंत्र का महत्वपूर्ण स्थान दिया है और इसका विवेचन किया है।

  6. तैत्तिरीय ब्राह्मण (Taittiriya Brahmana): तैत्तिरीय ब्राह्मण में भी महा मृत्युंजय मंत्र का विवेचन किया गया है।

  7. उपनिषद् (Upanishads): कई उपनिषदों में भी महा मृत्युंजय मंत्र का प्रशंसा और विवेचन किया गया है।

इन स्क्रिप्ट्स और ग्रंथों में महा मृत्युंजय मंत्र को भगवान शिव के प्रति भक्ति और स्तुति का एक शक्तिशाली स्रोत माना गया है और इसका जाप अनेक आध्यात्मिक और चिकित्सकीय फायदे प्रदान करता है।

"महा मृत्युंजय मंत्र का अर्थ और महत्व" (Meaning and Significance of Maha Mrityunjaya Mantra):-

महा मृत्युंजय मंत्र का अर्थ (Meaning of Maha Mrityunjaya Mantra):

महा मृत्युंजय मंत्र का अर्थ ऋग्वेद से लिया गया है और इसका विशेष अर्थ है:

  1. ॐ त्रयम्बकं (Om Trayambakam): "त्रयम्बकं" का अर्थ है जो तीन आँखों वाला है, जिससे भगवान शिव का स्वरूप दर्शाया जाता है।

  2. यजामहे (Yajamahe): "यजामहे" का अर्थ है हम पूजना करते हैं या उनकी उपासना करते हैं।

  3. सुगन्धिं (Sugandhim): "सुगन्धिं" का अर्थ है जिसका सुगंध है, यानी भगवान की महक।

  4. पुष्टिवर्धनम् (Pushti-Vardhanam): "पुष्टिवर्धनम्" का अर्थ है जो पुष्टि और वृद्धि करने वाला है, जो जीवन की प्रवृद्धि को सूचित करता है।

  5. उर्वारुकमिव (Urvarukam-Iva): "उर्वारुकमिव" का अर्थ है जैसे कि तंबाकू की पत्ती जब कट जाती है, वैसे ही हमारा भय और मृत्यु कट जाए।

  6. बन्धनान् (Bandhanan): "बन्धनान्" का अर्थ है बंधनों से मुक्ति।

  7. मृत्योर्मुक्षीय (Mrityor-Mukshiya): "मृत्योर्मुक्षीय" का अर्थ है मृत्यु से मुक्ति प्राप्त हो।

  8. मामृतात् (Maamritaat): "मामृतात्" का अर्थ है मुझे अमरता की प्राप्ति करें।

महा मृत्युंजय मंत्र का महत्व (Significance of Maha Mrityunjaya Mantra):

  1. रोगनाशक (Disease Healer): महा मृत्युंजय मंत्र का जाप रोगों के नाश में मदद करता है और व्यक्ति को स्वस्थ रखने में सहायक होता है।

  2. मृत्यु से मुक्ति (Freedom from Death): यह मंत्र मृत्यु के भय से मुक्ति दिलाने में सहायक है और अमरता की प्राप्ति की आशा दिलाता है।

  3. मानसिक शांति (Mental Peace): महा मृत्युंजय मंत्र का जाप मानसिक चिंता से मुक्ति दिलाता है और मानवता में शांति बनाए रखने में सहायक है।

  4. आध्यात्मिक विकास (Spiritual Growth): इस मंत्र का जाप आध्यात्मिक साधना में सहायक है और भक्त को अपने आत्मा के साथ संबंध स्थापित करने में मदद करता है।

  5. चिकित्सात्मक लाभ (Healing Benefits): यह मंत्र चिकित्सा में भी प्रयुक्त होता है और रोगों के उपचार में सहारा प्रदान करता है।

  6. सुरक्षा की प्राप्ति (Protection): भक्त को अपने जीवन को सुरक्षित रखने के लिए इस

"महा मृत्युंजय मंत्र से संबंधित धार्मिक कथाएं" (Religious Stories Related to Maha Mrityunjaya Mantra):-

महा मृत्युंजय मंत्र के समर्थन में कई धार्मिक कथाएं हैं जो इस मंत्र को प्रमोट करती हैं और भक्तों को इसके महत्व को समझाती हैं। यहां कुछ ऐसी कथाएं हैं:

  1. मार्कण्डेय पुराण की कथा: एक प्रसिद्ध कथा के अनुसार, भगवान शिव ने मार्कण्डेय पुराण में देवों को अमृत प्राप्ति के लिए समुद्र मंथन के समय उपहार स्वरूप में महा मृत्युंजय मंत्र दिया था। इस मंत्र का जाप करने से देवताओं को अमृत प्राप्त हुआ और उन्हें मृत्यु से मुक्ति मिली।

  2. महाभारत की कथा: महाभारत में है कि युधिष्ठिर को अपने आपत्तियों के समय श्रीकृष्ण ने महा मृत्युंजय मंत्र का उपदेश किया था। इस मंत्र का जाप करने से युधिष्ठिर और पांडव बंधुओं को रक्षा हुई और उन्हें मृत्यु से मुक्ति मिली।

  3. कार्तिकेय पुराण की कथा: कार्तिकेय पुराण के अनुसार, देवी पार्वती ने अपने पुत्र श्रीकार्तिकेय को मृत्यु से बचाने के लिए महा मृत्युंजय मंत्र का उपयोग किया था और उसे अमृत दिया था।

  4. शिव पुराण की कथा: एक और कथा के अनुसार, एक ब्राह्मण नामक व्यक्ति ने शिव पुराण की श्रवण की कठिनाइयों के बावजूद वह महा मृत्युंजय मंत्र का निर्धारित समय में जाप किया और उसकी कड़ी प्रार्थना करते हुए उन्हें शिव ने आपातकाल में बचाया।

  5. मार्कण्डेय पुराण के अनुसार: मार्कण्डेय पुराण में एक कथा है जिसमें राजा सुप्रतीक विष से मर रहा था। उसकी पत्नी ने महा मृत्युंजय मंत्र का जाप करके उसे जीवित कर दिया।

ये कथाएं महा मृत्युंजय मंत्र के प्रति भक्ति और विश्वास को बढ़ाती हैं और इसे जीवन की समस्याओं से निपटने का एक शक्तिशाली साधन मानती हैं। 

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