जय भगवद्गीते मैय्या जय भगवद्गीते(jai bhagvadgite maiya jai bhagvadhite Lyrics in Hindi)

Deepak Kumar Bind

जय भगवद्गीते मैय्या जय भगवद्गीते(jai bhagvadgite maiya jai bhagvadhite Lyrics in Hindi)


आरती


जय भगवद्गीते मैय्या जय भगवद्गीते।

कर्म ज्ञान भक्ति की, गंगा सुपुनीते-जय.


धर्म अधर्म के रण में, जब अर्जुन डोले।

गीता ज्ञान रहस्य, यदुनंदन खोले-जय.


श्री कृष्ण मुख निकली, वेदमयी वाणी।

ग्रन्थ शिरोमणि गीता, माता कल्याणी-जय..


ब्रह्म-योग ब्रह्म-विद्या,मन को वश में करे।

आतम ज्ञान बढ़ावे, पाप त्र्यताप हरे-जय


सत्य धर्म ईश्वर की, भक्ति सिखलावे।

कर्तव्य नीति निष्ठा, मार्ग दिखलावे- जय..


कुरूक्षेत्र में प्रगटी, वीरों की माता।

करे अनुसरण जो इसका, हरि दर्शन पाता-जय..


मोह शोक भयहारी, विघ्न विकार हरे।

जीवन जोत जगावे, दूर अन्धकार करे-जय


कहत ‘‘मधुप’’ कर वन्दन, आरती जो गावे।

बल भक्ति यश कीर्ति, मुक्ति वर पावे-जय।

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