मन का आँगन महकने लगा है (MAN KA AANGAN MAHAKANE LAGA HE LYRICS IN HINDI) - GURU BHAJAN SONA JADHAV - Bhaktilok

Deepak Kumar Bind


मन का आँगन महकने लगा है  (MAN KA AANGAN MAHAKANE LAGA HE LYRICS IN HINDI) - 


मन का आँगन महकने लगा है

साथ गुरुवर का जबसे मिला है

रौशनी मन की बतला रही है

की अंधेरों ने कितना छला है

मन का आंगन महकने लगा है

साथ गुरुवर का जबसे मिला है।।


है यहाँ तन के रिश्ते सभी से

माँ पिता बंधू भाई सभी से

आत्मा का है परमात्मा गुरु

जिससे जीवन का ये सिलसिला है

मन का आंगन महकने लगा है

साथ गुरुवर का जबसे मिला है।।


जबसे गुरु की शरण आ गए है

खुशियों का चमन पा गए है

साथ गुरुवर का जग में निराला

जिंदगी से ना शिकवा गिला है

मन का आंगन महकने लगा है

साथ गुरुवर का जबसे मिला है।।


अब तो गुरुवर के हाथों है जीवन

दे दिया मैंने अपना ये तन मन

जबसे गुरुवर के हम हो गए है

मन में शांति का एक फुल खिला है

मन का आंगन महकने लगा है

साथ गुरुवर का जबसे मिला है।।


मन का आँगन महकने लगा है

साथ गुरुवर का जबसे मिला है

रौशनी मन की बतला रही है

की अंधेरों ने कितना छला है

मन का आंगन महकने लगा है

साथ गुरुवर का जबसे मिला है।।


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