संपूर्ण रुद्राभिषेक रुद्राभिषेक मंत्र (Shiv Rudrabhishek Mantra Lyrics in Hindi) -
धर्मग्रंथों के अनुसार पाप ही दु:खों का कारण हैं। और ....
रुतम्-दु:खम्, द्रावयति-नाशयतीतिरुद्र: ।।
( रूद्र रूप में प्रतिष्ठित शिव हमारे सभी दु:खों को शीघ्र ही नष्ट कर देते हैं।)
भगवान शिव अत्यंत परम उदार हैं और यह आसानी से प्रसन्न हो जाते हैं। रुद्राभिषेक करना शिव आराधना का सर्वश्रेष्ठ तरीका माना गया है। आशुतोषस्वरूप भगवन शिव को शुक्लयजुर्वेदीय रुद्राष्टाध्यायी मन्त्रों द्वारा विविध द्रव्यों से अभिषेक करनें पर शिव प्रसन्न होकर शीघ्र मनोवांछित फल प्रदान करते हैं। कई जन्मों के हमारे पातक कर्म (पाप) जलकर नष्ट हो जाते हैं और साधक में शिवत्व का उदय होता है। भक्तों को समृद्धि और शांति के साथ - साथ उनके सभी मनोरथ पूर्ण होते हैं।
रूद्राभिषेक की पूजा प्रक्रिया:-
रूद्राभिषेक में शिवलिंग को उत्तर दिशा में रख कर शिवलिंग पर पवित्र गंगाजल धारा अर्पण कर पूजा और अर्चना की जाती है।
रुद्राभिषेक किसी भी दिन किया जा सकता है परन्तु त्रियोदशी तिथि, प्रदोष काल और सोमवार को इसको करना परम कल्याण कारी है। श्रावण मास में किसी भी दिन किया गया रुद्राभिषेक अद्भुत व् शीघ्र फलदायी होता है।
पौराणिक कथा :-
पौराणिक कथा के अनुसार भगवान विष्णु की नाभि से उत्पन्न कमल से ब्रह्मा जी की उत्पत्ति हुई। ब्रह्माजी जबअपने जन्म का कारण जानने के लिए भगवान विष्णु के पास पहुंचे तो उन्होंने ब्रह्मा की उत्पत्ति का रहस्य बताया और यह भी कहा कि मेरे कारण ही आपकी उत्पत्ति हुई है। परन्तु ब्रह्माजी यह मानने के लिए तैयार नहीं हुए और दोनों में भयंकर युद्ध हुआ। इस युद्ध से नाराज भगवान रुद्र लिंग रूप में प्रकट हुए। इस लिंग का आदि अन्त जब ब्रह्मा और विष्णु को कहीं पता नहीं चला तो हार मान लिया और लिंग का अभिषेक किया, जिससे भगवान प्रसन्न हुए। कहा जाता है कि यहीं से रुद्राभिषेक का आरम्भ हुआ।
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