संकट चौथ व्रत कथा(Sankat Chauth Vrat Katha in Hindi) - Bhaktilok

Deepak Kumar Bind


संकट चौथ व्रत कथा(Sankat Chauth Vrat Katha in Hindi):- 


संकट चौथ व्रत कथा(Sankat Chauth Vrat Katha in Hindi) - Bhaktilok

संकट चौथ व्रत कथा(Sankat Chauth Vrat Katha in Hindi):- 

इस व्रत को संकट चौथ और तिलकुटा पर्व के नाम से भी जाना जाता है। संकट चौथ के दिन गौरी पुत्र गणेश जी की पूजा करना फलदायी माना जाता है। इस दिन माताएं अपनी संतान की सुखी, स्वस्थ और दीर्घायु की कामना के लिए निर्जला व्रत कर भगवान गणेश की पूजा अर्चना करती हैं।


संकट चौथ व्रत कथा(Sankat Chauth Vrat Katha in Hindi) - Bhaktilok


संकट चौथ के दिन विघ्नहर्ता भगवान गणेश जी की पूजा अर्चना करने से निसंतान को संतान की प्राप्ति होती है| और संतान संबंधी सभी समस्याओं का निवारण होता है। इस बार सकट चौथ का पावन पर्व 10 जनवरी 2023 मंगलवार को है। शास्त्रों के अनुसार इस दिन शाम को सकट चौथ की कथा सुन चंद्रदेव को अर्घ्य देने से संतान के जीवन में आने वाली सभी विघ्न बाधाओं का अंत होता है। किसी नगर में एक कुम्हार रहता था। एक बार जब उसने बर्तन बनाकर आंवां लगाया तो आंवां नहीं पका।


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परेशान होकर वह राजा के पास गया और बोला कि महाराज न जाने क्या कारण है कि आंवां पक ही नहीं रहा है। राजा ने राजपंडित को बुलाकर कारण पूछा। राजपंडित ने कहा, ”हर बार आंवां लगाते समय एक बच्चे की बलि देने से आंवां पक जाएगा। राजा ने आदेश दे दिया। बलि आरम्भ हुई। जिस परिवार की बारी होती, वह अपने बच्चों में से एक बच्चा बलि के लिए भेज देता। इस तरह कुछ दिनों बाद एक बुढि़या के लड़के की बारी आई। बुढि़या के एक ही बेटा था तथा उसके जीवन का सहारा था, पर राजकी आज्ञा को कोई टाल नहीं सकता था|


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बुढ़िया सोचने लगी, “मेरा एक ही बेटा है, वह भी संकट चौथ के दिन मुझ से जुदा हो जाएगा। तभी उसको एक उपाय सूझा। उसने लड़के को सकट की सुपारी तथा दूब का बीड़ा देकर कहा, भगवान का नाम लेकर आंवां में बैठ जाना। संकट माता तेरी रक्षा करेंगी। संकट के दिन बालक आंवां में बिठा दिया गया और बुढि़या संकट माता के सामने बैठकर पूजा प्रार्थना करने लगी। पहले तो आंवां पकने में कई दिन लग जाते थे, पर इस बार संकट माता की कृपा से एक ही रात में आंवां पक गया। सवेरे कुम्हार ने देखा तो हैरान रह गया।


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आंवां पक गया था और बुढ़िया का बेटा जीवित व सुरक्षित था। संकट माता की कृपा से नगर के अन्य बालक भी जी उठे। यह देख नगरवासियों ने माता संकट की महिमा स्वीकार कर ली। तब से आज तक संकट माता की पूजा और व्रत का विधान चला आ रहा है। इस व्रत के करने से भगवान गणेश बहुत प्रसन्न होते हैं।


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संकट चौथ व्रत विधि(Sanakt Chauth Vrat vidhi in Hindi):-


  1. सुबह स्‍नान के बाद स्वच्छ कपड़े पहने|
  2. गणेशजी की प्रतिमा एक चौकी पर स्‍थापित कर दें।
  3. चौकी पर लाल या पीला कपड़ा बिछा दें।
  4. गणेशजी की प्रतिमा पर गंगाजल छिड़क कर उनकी पूजा शूरू करें।
  5. गणेश जी को रोली,और फूल चढ़ाएं।
  6. फिर पान, सुपारी और लड्डू का भोग लगाएं।
  7. इसके बाद देसी घी का दीप जलाकर उनकी पूजा करें
  8. फिर गणेश जी की आरती करे|
  9. संकट चौथ के दिन कुछ घरों में तिल और गुड़ का का भोग लगाया जाता है|
  10. इस दिन महिलाएं समूह में एकत्र होकर भगवान गणेश की कथा भी सुनाती हैं।

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