नवग्रह पीड़ाहर स्तोत्र (Navagraha Peeda Parihara Stotram in Hindi) - नवग्रह पीड़ा परिहार स्तोत्रम् Navagraha Peeda Parihara Stotram - Bhaktilok

Deepak Kumar Bind

 

नवग्रह पीड़ाहर स्तोत्र (Navagraha Peeda Parihara Stotram in Hindi) - नवग्रह पीड़ा परिहार स्तोत्रम्  Navagraha Peeda Parihara Stotram -

नवग्रह पीड़ाहर स्तोत्र (Navagraha Peeda Parihara Stotram in Hindi) - नवग्रह पीड़ा परिहार स्तोत्रम्  Navagraha Peeda Parihara Stotram - Bhaktilok


नवग्रह पीड़ाहर स्तोत्र (Navagraha Peeda Parihara Stotram in Hindi) - 


ग्रहाणामादिरात्यो लोकरक्षणकारक:। 

विषमस्थानसम्भूतां पीड़ां हरतु मे रवि: ।।1।।

शब्द का अर्थ:- ग्रहों में प्रथम परिगणित, अदिति के पुत्र तथा विश्व की रक्षा करने वाले भगवान सूर्य विषम स्थानजनित मेरी पीड़ा का हरण करें ।।1।।


रोहिणीश: सुधा‍मूर्ति: सुधागात्र: सुधाशन:। 

विषमस्थानसम्भूतां पीड़ां हरतु मे विधु: ।।2।।

शब्द का अर्थ:- दक्षकन्या नक्षत्र रूपा देवी रोहिणी के स्वामी, अमृतमय स्वरूप वाले, अमतरूपी शरीर वाले तथा अमृत का पान कराने वाले चंद्रदेव विषम स्थानजनित मेरी पीड़ा को दूर करें ।।2।।


भूमिपुत्रो महातेजा जगतां भयकृत् सदा। 

वृष्टिकृद् वृष्टिहर्ता च पीड़ां हरतु में कुज: ।।3।।

शब्द का अर्थ:- भूमि के पुत्र, महान् तेजस्वी, जगत् को भय प्रदान करने वाले, वृष्टि करने वाले तथा वृष्टि का हरण करने वाले मंगल (ग्रहजन्य) मेरी पीड़ा का हरण करें ।।3।।


उत्पातरूपो जगतां चन्द्रपुत्रो महाद्युति:। 

सूर्यप्रियकरो विद्वान् पीड़ां हरतु मे बुध: ।।4।।

शब्द का अर्थ:- जगत् में उत्पात करने वाले, महान द्युति से संपन्न, सूर्य का प्रिय करने वाले, विद्वान तथा चन्द्रमा के पुत्र बुध मेरी पीड़ा का निवारण करें ।।4।।


देवमन्त्री विशालाक्ष: सदा लोकहिते रत:। 

अनेकशिष्यसम्पूर्ण:पीड़ां हरतु मे गुरु: ।।5।।

शब्द का अर्थ:- सर्वदा लोक कल्याण में निरत रहने वाले, देवताओं के मंत्री, विशाल नेत्रों वाले तथा अनेक शिष्यों से युक्त बृहस्पति मेरी पीड़ा को दूर करें ।।5।।


दैत्यमन्त्री गुरुस्तेषां प्राणदश्च महामति:। 

प्रभु: ताराग्रहाणां च पीड़ां हरतु मे भृगु: ।।6।।

शब्द का अर्थ:- दैत्यों के मंत्री और गुरु तथा उन्हें जीवनदान देने वाले, तारा ग्रहों के स्वामी, महान् बुद्धिसंपन्न शुक्र मेरी पीड़ा को दूर करें ।।6।।


सूर्यपुत्रो दीर्घदेहा विशालाक्ष: शिवप्रिय:। 

मन्दचार: प्रसन्नात्मा पीड़ां हरतु मे शनि: ।।7।।

शब्द का अर्थ:- सूर्य के पुत्र, दीर्घ देह वाले, विशाल नेत्रों वाले, मंद गति से चलने वाले, भगवान् शिव के प्रिय तथा प्रसन्नात्मा शनि मेरी पीड़ा को दूर करें ।।7।।


अनेकरूपवर्णेश्च शतशोऽथ सहस्त्रदृक्। 

उत्पातरूपो जगतां पीडां पीड़ां मे तम: ।।8।।

शब्द का अर्थ:- विविध रूप तथा वर्ण वाले, सैकड़ों तथा हजारों आंखों वाले, जगत के लिए उत्पातस्वरूप, तमोमय राहु मेरी पीड़ा का हरण करें ।।8।।


महाशिरा महावक्त्रो दीर्घदंष्ट्रो महाबल:। 

अतनुश्चोर्ध्वकेशश्च पीड़ां हरतु मे शिखी: ।।9।।

शब्द का अर्थ:- महान शिरा (नाड़ी)- से संपन्न, विशाल मुख वाले, बड़े दांतों वाले, महान् बली, बिना शरीर वाले तथा ऊपर की ओर केश वाले शिखास्वरूप केतु मेरी पीड़ा का हरण करें।।9।।


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